भोपाल, दिसंबर 2013/ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 432 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित की जा रही नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना का हवाई सर्वेक्षण किया।  परियोजना का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।  श्री चौहान ने परियोजना से संबंधित पम्पिंग स्टेशन, पाईप लाईन एवं उज्जैनी स्थित वास्तविक स्ट्रक्चर का भी अवलोकन किया। इस परियोजना के शेष कार्य को शीघ्र-से-शीघ्र पूर्ण कर नये वर्ष 2014 के आरंभ में अगले माह लोकार्पण करने की तैयारी करने के निर्देश भी दिये।  मुख्यमंत्री श्री चौहान के हवाई सर्वेक्षण में मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव नर्मदा घाटी विकास श्री रजनीश वैश्य तथा मुख्यमंत्री के सचिव श्री एस.के.मिश्रा साथ थे।

नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत सिसलिया जलाशय से 5 क्यूमेक्स जल उद्वहन कर एम.एस.पाईप्स के माध्यम से 48 किलोमीटर दूर इंदौर जिले के उज्जैनी ग्राम में स्थित क्षिप्रा के उदगम स्थल पर जल प्रवाहित करना इसका मुख्य कार्य है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 29 नवम्बर,2012 को  एक गरिमामय समारोह में इंदौर से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उज्जैनी ग्राम में मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के उदगम स्थल क्षिप्रा टेकरी में पुण्य-सलिला माँ नर्मदा और क्षिप्रा नदी का पावन मिलन करवाने की 432 करोड़ लागत की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के निर्माण का भूमि-पूजन एवं शिलान्यास किया था।  इस प्रकार इस परियोजना का कार्य एक रेकार्ड समय में पूर्ण किया जा रहा है।

परियोजना के निर्माण कार्य का अनुमोदन मुख्यमंत्री शिराजसिंह चौहान ने 8 अगस्त,2012 को किया था। दिनांक 27 अगस्त, 2012 को निविदा आमंत्रित करने के पश्चात नर्मदा नियंत्रण मंडल की 12 अक्टूबर,2012 को आयोजित 43 वीं बैठक में निर्माण एजेन्सी की स्वीकृति प्रदान की गयी थी।  परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति 19 अक्टूबर,2012 को जारी करते हुए 5 नवम्बर,2012 को कार्य का अनुबंध किया गया था।

नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना

प्रथम चरण में ओंकारेश्वर परियोजना सिसलिया तालाब से नर्मदा जल का क्षिप्रा में प्रवाह होगा। आगामी चरणों में महेश्वर से नर्मदा जल उदवहन कर गम्भीर नदी में इंदिरा सागर जलाशय से नर्मदा जल उदवहन कर कालीसिंध और पार्वती नदी में प्रवाह किया जायेगा। इन परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने पर मालवा क्षेत्र में 17 लाख एकड़ में सिंचाई सुलभ होगी। साथ ही इससे मालवा क्षेत्र की पेयजल समस्या का भी स्थाई समाधान होगा। मालवा की नदियों में प्रवाहित होता नर्मदा का जल 70 कस्बों और 3000 गाँव की प्यास बुझायेगा।  नर्मदा जल की उपलब्धता से मालवांचल में औद्योगिक विकास की गति तेज होगी। वर्तमान और भावी सैकड़ों उद्योगों को जल उपलब्ध हो सकेगा। परियोजना का एक उल्लेखनीय लाभ यह होगा कि प्रत्येक 12 वर्ष में उज्जैन में आयोजित विश्व प्रसिद्ध सिंहस्थ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालु के पवित्र स्नान और अन्य जल आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकेगी।

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