भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने जिस उद्देश्य से लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी देने वाला कानून बनाया गया था, वह पूरा होता नजर आ रहा है। इस कानून की सफलता इस बात से आँकी जा सकती है कि बिहार, पंजाब, उत्तराखण्ड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और झारखण्ड ने भी इसका अनुसरण किया है। सिर्फ राज्य ही नहीं भारत सरकार भी इस तरह का कानून बनाने पर विचार कर रही है।
राज्य में 25 सितम्बर, 2010 से लागू इस अधिनियम के तहत वर्तमान में 16 विभागों की 52 सेवाएँ ली गई हैं। इसमें ऊर्जा, श्रम, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, राजस्व, नगरीय प्रशासन एवं विकास, सामान्य प्रशासन, सामाजिक न्याय, आदिम-जाति एवं अनुसूचित-जाति कल्याण, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, वन, गृह, किसान-कल्याण एवं कृषि विकास, महिला-बाल विकास, परिवहन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग शामिल हैं।
सवा करोड़ आवेदन निपटे
इस अधिनियम के लागू होने के बाद जुलाई, 2012 तक लगभग एक करोड़ 25 लाख आवेदन का निराकरण किया गया है। इनमें लगभग 99 प्रतिशत आवेदकों को सेवा प्रदान की गयी है। सात अगस्त, 2011 से आवेदनों की ऑन-लाइन पंजीयन की सुविधा भी लोगों को दी गयी है। इस व्यवस्था से 24 लाख आवेदन प्राप्त हुए। इनमें 99 प्रतिशत से अधिक आवेदन का निराकरण समय-सीमा में किया गया।
अधिनियम में प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को अधिसूचित सेवाएँ निर्धारित समय-सीमा में नहीं मिलती हैं तब वह उसके खिलाफ दो स्तर पर अपील कर सकता है। द्वितीय अपील में विलम्ब करने वाले अधिकारी पर 5 हजार तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
विकासखण्ड स्तर पर लोक सेवा केन्द्र
जिला-स्तर पर आवेदनों की समीक्षा के लिए जिला प्रबंधक लोक सेवा एवं कार्यालय सहायक की नियुक्ति की गयी। इसके बाद निजी भागीदारी से प्रत्येक विकासखण्ड मुख्यालय और नगरीय क्षेत्रों में लोक सेवा केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। आवेदक लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से आवेदन कर सकेंगे। इन केन्द्रों के माध्यम से समय-सीमा में सेवाएँ भी प्राप्त होंगी। इन केन्द्रों में नागरिकों को आवेदन-पत्र जमा करते समय किसी प्रपत्र में आवेदन नहीं लाना होगा, केवल उन्हें आवश्यक दस्तावेज देने होंगे।
आम आदमी की जरूरत के मुताबिक अधिनियम में संशोधन भी किया गया है। अब प्रथम एवं द्वितीय अपीलीय अधिकारी को स्व-प्रेरणा से अपील अधिकारी के समक्ष समय-सीमा से बाहर लम्बित अथवा ऐसे प्रकरण जिनमें सेवा देने से इंकार कर दिया गया हो, को बुलाकर समीक्षा करने का अधिकार दिया गया है। समीक्षा के बाद वे उपयुक्त आदेश पारित कर सकेंगे।
यूनाइटेड नेशन्स द्वारा सम्मानित
प्रदेश को मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम-2010 को लागू करने एवं उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर वर्ष 2012 का यूनाइटेड नेशन्स पब्लिक सर्विस अवार्ड की केटेगरी ‘‘लोक सेवा में सुधार’’ के लिये द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रदेश की ओर से राज्य मंत्री श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।