भोपाल, अक्टूबर 2013/ राज्य शासन ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश की इच्छुक कम्पनियों/इकाइयों को सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के स्वामित्व के सूचना प्रौद्योगिकी पार्क (आई.टी. पार्क) में स्थित शासकीय भूमि के आवंटन की प्रक्रिया में संशोधन किये हैं।
संशोधन के अनुसार अब समिति-स्तर पर प्रकरण विचारण योग्य पाये जाने की स्थिति में समिति के निर्देश पर निगम द्वारा संबंधित कम्पनी के पक्ष में आशय-पत्र जारी किया जायेगा। इसमें कम्पनी को भू-आवंटन के संभावित निर्णय के विषय में अवगत करवाते हुए कम्पनी से 30 कार्य दिवस में औपचारिक स्वीकृति प्राप्त की जायेगी। आशय-पत्र की अवधि में आगामी वृद्धि अधिकतम एक माह तक के लिये बिना ब्याज के की जायेगी। यदि यह अवधि समाप्त हो जाती है और इकाई आगे पुन: अवधि वृद्धि की माँग करती है तो एक प्रतिशत प्रतिमाह की दर से विलंबित अवधि के लिये अतिरिक्त राशि जमा करवा कर वृद्धि की जा सकेगी। यदि कम्पनी द्वारा आशय-पत्र के प्रस्ताव से असहमति व्यक्त की जाती है अथवा रुचि प्रदर्शित नहीं की जाती है तो ऐसी स्थिति में निगम द्वारा उचित निर्णय लिया जाकर समिति को सूचित किया जायेगा।
कम्पनी/इकाई द्वारा विकास शुल्क भूमि आवंटन पश्चात एक बार देय होगा। कम्पनी/इकाई द्वारा प्रब्याजि की सम्पूर्ण राशि जमा करने के बाद भू-आवंटन आदेश जारी किया जायेगा तथा नियमानुसार भूमि का अग्रिम आधिपत्य प्रदान किया जायेगा। लीज डीड का निष्पादन विकास शुल्क जमा होने के बाद ही किया जा सकेगा। विकास शुल्क अधिकतम 2 किश्त में अग्रिम आधिपत्य प्राप्त होने की तिथि से एक वर्ष के भीतर जमा करना अनिवार्य होगा। रख-रखाव शुल्क, अधोसंरचना विकास के बाद ही लागू किया जायेगा। भू-भाटक तथा रख-रखाव शुल्क वार्षिक रूप से देय होगा। विकास शुल्क एवं रख-रखाव शुल्क का निर्धारण एवं उपयोग सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अधिकृत एजेंसी मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम द्वारा किया जायेगा। भू-भाटक मध्यप्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी निवेश नीति-2012 एवं उसमें समय-समय पर किये जाने वाले संशोधनों के अनुरूप निर्धारित किया जायेगा। इन तीन शुल्क का उल्लेख पट्टाविलेख में किया जायेगा।