भोपाल, 15 जुलाईः मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने इस वर्ष से 0 प्रतिशत दर पर किसानों को 8,500 करोड़ रुपये का अल्पकालीन फसल ऋण देने का फैसला किया है। इस फैसले से प्रदेश के 30 लाख किसानों को फायदा पहुँचेगा।

इस वर्ष खरीफ सीजन में अब तक 4,174 करोड़ रुपये का फसल ऋण वितरित किया जा चुका है। सहकारिता विभाग ने 72 हजार वन ग्राम पट्टाधारी कृषकों को भी फसल ऋण देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। प्रदेश में इस वर्ष वितरित की जाने वाली ऋण राशि में 1105 करोड़ रुपये की राशि अनुसूचित-जाति एवं 637 करोड़ 50 लाख रुपये की ऋण राशि आदिवासी वर्ग के किसानों को वितरित की जायेगी।

सहकारिता विभाग ने रबी एवं खरीफ के लिए फसल ऋण अदायगी की तारीखें नियत की हैं। खरीफ फसलों के लिए दिया गया ऋण प्रतिवर्ष 15 मार्च तक एवं रबी फसलों के लिए दिया गया ऋण प्रतिवर्ष 15 जून तक 0 प्रतिशत की ब्याज दर पर अदा किये जा सकेंगे। प्रदेश की 4526 प्राथमिक सहकारी समितियों के पदाधिकारियों को समितियों से जुड़े किसानों को फसल ऋण अदायगी नियत समय पर करने के लिये प्रोत्साहित करने को कहा गया है।

प्रदेश में पूर्व के वर्षों में किसानों को 15 से 16 प्रतिशत तक की ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध हो पाता था। राज्य सरकार ने छोटे किसानों के हितों को देखते हुए वर्ष 2006-07 एवं वर्ष 2007-08 में 7 प्रतिशत, वर्ष 2008-09 एवं वर्ष 2009-10 में 5 प्रतिशत, वर्ष 2010-11 में 3 प्रतिशत तथा वर्ष 2011-12 में केवल एक प्रतिशत पर फसल ऋण उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया। छोटे किसानों की सुविधा को देखते हुए इस वर्ष 0 प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण देने का फैसला लिया गया है।

ऋण वसूली भी बढ़ी

वर्ष 2006-07 से अल्पकालीन ऋण की राशि में एवं ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है। इसके साथ ही ऋण वसूली के प्रतिशत में भी वृद्धि हुई है। वर्ष 2006-07 में जिला बैंकों की वसूली 68.29 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 73.88 प्रतिशत हो गई।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश किसानों को न केवल एक प्रतिशत बल्कि इस वर्ष से बिना ब्याज खेती-किसानी के लिए सहकारी ऋण देने वाला देश का पहला प्रदेश है। यह किसान हितैषी फैसला राज्य सरकार की 7 सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक कृषि को लाभदायी व्यवसाय बनाने की पूर्ति की दिशा में युगान्तरकारी कदम है।

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