भोपाल, जुलाई 2013/ मध्यप्रदेश में समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन के अंतर्गत किये गये वित्तीय समावेशन कार्य की बैंकरों, केन्द्र सरकार और अन्य राज्यों के अधिकारियों द्वारा एक स्वर में व्यापक सराहना की गई। वित्तीय समावेशन और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये समृद्धि विषय पर हुए एक दिवसीय सम्मेलन में बैंकरों, बीमा कम्पनियों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने इस दिशा में मध्यप्रदेश में किये गये कार्य को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए इसे और आगे बढ़ाने में पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। सम्मेलन में अन्य प्रदेशों के अधिकारियों ने भी मध्यप्रदेश में वित्तीय समावेशन से जुड़े पहलुओं के बारे में अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि हितग्राहियों को योजनाओं के लाभ का प्रत्यक्ष हस्तांतरण करने का काम मध्यप्रदेश ने भारत सरकार से पहले ही कर लिया है। बहरहाल,  उन्होंने प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के अधिक विस्तार की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन के नवाचारी कार्य से अनेक प्रकार की अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी। प्रदेश के सभी पंचायत भवन में बैंकिंग सुविधाओं के लिये स्थान उपलब्ध करवाया गया है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के सीएमडी श्री टंकसाले ने कहा कि मध्यप्रदेश में वित्तीय समावेशन का कार्य फैशन की तरह नहीं पेशन के साथ किया गया है। वित्तीय समावेशन की सफलता के लिये डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल समावेशन की आवश्यकता है। सिर्फ वित्तीय समावेशन नहीं सामाजिक समावेशन भी जरूरी है। मध्यप्रदेश ने इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहाँ भारतीय रिजर्व बैंक, राज्य सरकार तथा अन्य संबंधित संस्थाओं के बीच बहुत अच्छा समन्वय है। उन्होंने वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का भी सुझाव दिया।

भारतीय रिजर्व बैंक के रीजनल डायरेक्टर रवि मोहन ने कहा कि वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश का काम अनुकरणीय है। इसी वर्ष रिजर्व बैंक के गवर्नर ने इंदौर के पास एक गाँव के भ्रमण के बाद कहा कि उन्होंने इस वर्ष अपने भ्रमण के लिये इस गाँव को इसलिये चुना, क्योंकि मध्यप्रदेश कई अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर है। श्री मोहन ने आशा व्यक्त की कि न केवल वित्तीय समावेशन बल्कि आम लोगों को लाभ पहुँचाकर उनके जीवन में सुधार की दिशा में भी मध्यप्रदेश अग्रणी बनेगा।

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव ने भारत सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना के बारे में बताया और कहा कि इसके प्रथम चरण में 43 और द्वितीय चरण में 78 जिले को चुना गया है। अच्छा काम करने वाले राज्यों को योजना का अधिक लाभ दिया जायेगा, जिसमें मध्यप्रदेश भी आगे रहेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश के सामाजिक सुरक्षा मिशन में किये गये वित्तीय समावेशन के कार्य को उत्कृष्ट बताया। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं का विस्तार आम लोगों पर एहसान नहीं है, बल्कि उन्हें उनके अधिकार दिलाने का काम है।

अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती अरुणा शर्मा ने बताया कि समग्र सामाजिक सुरक्षा मिशन तथा मनरेगा में किये गये वित्तीय समावेशन से आम लोगों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। ‘समृद्धि’ का उद्देश्य एक ऐसा मॉडल तैयार करना है, जिसके पहले चरण में शत-प्रतिशत पेंशनरों और मनरेगा हितग्राहियों तथा अगले चरण में सभी संबंधितों को छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य संबंधी लाभ तथा अन्य भुगतान प्रत्यक्ष हस्तांतरण के माध्यम से मिलने लगे हैं। मध्यप्रदेश में परिवारों के डाटाबेस का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। समग्र के जरिये 15 जिले में हितग्राहियों को राशि सीधे उनके बैंक खातों में पहुँचने लगी है। यहाँ बैंक सुविधा के लिये आबादी के बजाय भौगोलिक दूरी को आधार बनाया गया है। प्रदेश में वित्तीय समावेशन के तहत अभी तक 1567 बैंक शाखाएँ तथा अल्ट्रा-स्मॉल बैंक खोले जा चुके हैं। अल्ट्रा-स्मॉल बैंकों ने बीते 8 माह में 600 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है। अगस्त के अंत तक शेष सभी 2498 बैंक खुल जायेंगे।

 

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