भोपाल, दिसंबर 2012/ मध्यप्रदेश के लिए साल 2012 किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूँ के रिकार्ड उपार्जन के लिए जाना जायेगा। साल के दौरान रबी विपणन मौसम में 15 मार्च से 31 मई तक 85 लाख 6 हजार मीट्रिक टन गेहूँ की ऐतिहासिक खरीदी हुई। बेहद सफल रही ई-उपार्जन प्रक्रिया के तहत पहली बार किसानों को एसएमएस द्वारा उपार्जन केन्द्र पहुँचने के लिए आमंत्रित किया गया था। किसानों को खरीदे गये गेहूँ की राशि का भुगतान भी एक सप्ताह के भीतर किया गया। कुल 10 लाख 26 हजार किसानों को गेहूँ खरीदी के एवज में 11 हजार 780 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया। बरसात के पूर्व खरीदे गये गेहूँ का सुरक्षित भण्डारण भी राज्य सरकार ने किया।
गेहूँ खरीदी के अत्यंत सफल रहे इस पेटर्न की देशभर में सराहना हुई। वर्ष 2012 में भरपूर गेहूँ उत्पादन के मामले में मध्यप्रदेश भी पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों की अग्रणी श्रेणी में शामिल हो गया। मध्यप्रदेश को ई-उपार्जन की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इण्डिया (सीएसआई) द्वारा ‘‘ निहिलेंट अवार्ड ’’ प्रदान किया गया है। इस अवार्ड के लिए देशभर से 70 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं। इनमें से अंतिम छः के चयन के बाद मध्यप्रदेश के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए इस अवार्ड के लिए 20 सदस्यीय ज्यूरी ने चुना। बारदानों के अलावा सायलो बैग की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई। इसी साल मध्यप्रदेश सायलो बैग के उपयोग की दृष्टि से भी देश का पहला राज्य बना।
मध्यप्रदेश की श्रेष्ठ ई-उपार्जन नीति का अध्ययन राजस्थान के अधिकारियों के दल ने भी किया। अध्ययन दल ने प्रक्रिया की सराहना करते हुए मध्यप्रदेश को देश के अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल माना। गेहूँ के रिकार्ड उत्पादन को देखते हुए भण्डार गृहों की आवश्यकता भी राज्य सरकार ने महसूस की तथा अपनी नई वेयर-हाउस नीति घोषित की। नीति के तहत निवेशकों को हर-संभव सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
धान और मोटे अनाज का भी ई-उपार्जन
गेहूँ की रिकार्ड खरीदी के बाद खरीफ विपणन मौसम में धान एवं मोटे अनाज की खरीदी प्रक्रिया भी ई-उपार्जन से शुरू की गई। धान एवं मोटे अनाज के उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन 16 अगस्त से 15 सितम्बर तक चला। मोटा अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा का उपार्जन एक अक्टूबर से तथा धान का उपार्जन एक नवम्बर से प्रारंभ हुआ, जो 31 जनवरी 2013 तक चलेगा। किसानों से 100 रुपये बोनस के साथ 1350 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सामान्य धान खरीदा जा रहा है। गत वर्ष बोनस की राशि 50 रुपये थी, जिसे वर्ष 2012 में दोगुना किया गया।
राज्य सरकार ने मौजूदा साल में अनुसूचित जनजाति बहुल ब्लॉकों में दिये जाने वाले वन्या नमक को आकर्षक पॉलीस्टर पैक में उपलब्ध करवाने की पहल की। इस योजना से प्रतिमाह इस वर्ग के 25 लाख 75 हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।