भोपाल, दिसम्बर 2014/ कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सर्वाधिक प्रभावित 13 जिले चिन्हित कर पी.सी.पी.एन.डी.टी. सेल का गठन किया जा रहा है। ये जिले हैं इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना, देवास, सागर, धार, मंदसौर, छिन्दवाड़ा, रतलाम और होशंगाबाद। यह जानकारी संचालक लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. नवनीत मोहन कोठारी की अध्यक्षता में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम के तहत गठित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में दी गई।
बैठक में जानकारी दी गई कि सोनोग्राफी दुरुपयोग के प्रकरण पढ़े-लिखे और संपन्न वर्ग में अधिक प्रकाश में आ रहे हैं। कुल प्रकरणों के 50 प्रतिशत प्रकरण प्रदेश के पाँच बड़े नगर इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन से हैं। समिति पंजीयन के नवीनीकरण के लिए कॉम्पीटेन्सी टेस्ट की अनिवार्यता को सुनिश्चित करने, सोनोग्राफी सेन्टर पर निरंतर निगरानी रखने, संदिग्ध मामलों में प्रामाणिक जाँच करने, गिरते लिंगानुपात के विरुद्ध जन-मानस को जागरूक करने, बेटी जन्म के विरुद्ध सदियों से चली आ रही मानसिकता को बदलने में लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान, स्वागतम् लक्ष्मी और शौर्या दल आदि के सकारात्मक प्रभाव आदि पर चर्चा की गई।
राज्य सलाहकार समिति की बैठक में जिन सदस्य ने भाग लिया उनमें अतिरिक्त सचिव विधि अमिताभ मिश्रा, ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस की सरला माथुर, संचालक आईसी ब्यूरो स्वास्थ्य सेवाएँ डॉ. बी.एन. चौहान, शिशु रोग विशेषज्ञ गाँधी मेडिकल कॉलेज डॉ. रश्मि द्विवेदी, डॉ. वंदना शर्मा, डॉ. शालिनी कपूर, डॉ. स्वाति और यूएनएफपीए के डॉ. पी.आर. देव आदि शामिल थे।