भोपाल, दिसम्बर 2015/ मध्यप्रदेश में पिछले दस वर्ष में लगन और मेहनत से जन हित में अनेक उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं और राज्य एवं लोगों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान नई दिल्ली में ‘दस का दम’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री चौहान ने अपने दस वर्ष के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि दस वर्ष पहले मध्यप्रदेश एक बीमारू एवं पिछड़ा राज्य माना जाता था। पहले बिजली, सड़क, पानी की समस्या से जूझ रहा मध्यप्रदेश आज विकास सूचकांक की कड़ी में देश में अग्रिम कतार में खड़ा है। श्री चौहान ने अपने मन की बात कहते हुए कहा कि इस विकास यात्रा में उनके मन में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपेक्षाकृत विकास नहीं हो पाने की एक कसक जरूर रह गयी। जिसका मुख्य कारण प्रदेश में चिकित्सक और चिकित्सा विशेषज्ञों की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता नहीं होना है। उन्होंने इसके लिए प्रदेश से बाहर कार्यरत और बसे चिकित्सकों से प्रदेश के विकास में अपना योगदान देने का आह्वान भी किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वह इस कार्य को पूरा करेंगे।

श्री चौहान ने बताया कि इस विकास यात्रा के दौरान उन्होंने सभी वर्गों से संवाद स्थापित किया और इसके लिये पंचायतें बुलवायीं। नीति निर्धारण के लिए संबंधितों से सुझाव लेकर उनको अमल में लाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई ठोस निर्णय लेकर व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन कर भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति राजसात करने का निर्णय भी लिया गया।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में दस वर्ष में अधोसंरचना विकास हो, कृषि उत्पादन और औद्योगीकरण के क्षेत्र में काफी निवेश हुआ है। अधोसंरचना के क्षेत्र में पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछाया गया है। ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश न केवल स्वावलंबी हुआ है बल्कि अब पड़ोसी राज्यों को बिजली दे रहा है। कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त करने पर भारत सरकार द्वारा लगातार पिछले तीन वर्ष से राज्य को कृषि कर्मण अवार्ड से नवाजा गया है। प्रदेश की कृषि उत्पादन दर अब 24.99 प्रतिशत हो गयी है। राज्य में पिछड़ों, अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कल्याण की अनेक योजनाएँ चलाई गईं। जिससे इन वर्गों ने समाज में अपनी नई पहचान बनाई है। शिक्षा के क्षेत्र में सामान्य छात्रों के साथ पिछड़े वर्ग के छात्रों ने भी नया आयाम स्थापित किया है। महिलाओं के लिए प्रदेश की पंचायतों में 50 प्रतिशत तथा सरकारी संस्थाओं-पुलिस एवं वन विभाग में भी 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है।

श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश की बेटियों के चहुँमुखी विकास के लिए विभिन्न योजनाएँ बनाई गई हैं। पहले बेटियों के जन्म को अभिशाप माना जाता था लेकिन अब पिछले दस साल के प्रयासों से लोगों की सोच में काफी परिवर्तन आया है और लोग बेटियों को अब भार नहीं मानते है। राज्य सरकार ने बेटियों के पैदा होने से लेकर उनकी शिक्षा, शादी और नौकरी आदि के लिए अनेक योजनाएँ बनाई हैं। जिसमें लाडली लक्ष्मी योजना की सफलता को देखते हुए देश के अन्य राज्यों ने भी इस योजना का अनुसरण किया है। बेटियों के साथ-साथ सरकार ने बेटों का भी विशेष ध्यान रखा है। उनकी शिक्षा-दीक्षा से लेकर उनको स्वावलंबी बनाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने निभायी है।

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