भोपाल, जून 2015/ भोपाल में 20 से 22 जून, 2015 तक होने वाली प्रदेश ही नहीं देश की भी पहली बाँस इन्वेस्टर्स मीट-2015 में भाग लेने के लिये चीन, बेल्जियम, जर्मनी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, त्रिपुरा, गुजरात, दिल्ली, आन्ध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि से निवेशक और विशेषज्ञ पहुँच रहे हैं। निवेशकों में बाँस आधारित ऊर्जा, टेक्सटाइल, फर्नीचर, हस्तशिल्प, बाँस भवन निर्माता, उत्पादक किसान आदि शामिल हैं।
मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन के संचालक श्री ए.के. भट्टाचार्य ने बताया कि देश सहित विश्व में बाँस आधारित उत्पादों की अभूतपूर्व माँग बढ़ी है। देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र होने के नाते मध्यप्रदेश में बाँस उत्पादन और उद्योग की अपरिमित संभावनाएँ विकसित की जा सकती हैं। बाँस से होने वाले लाभों के मद्देनजर ही इसे आज ग्रीन-गोल्ड (हरित सोना) कहा जा रहा है। ‘हरित सोने में निवेश” नामक यह इन्वेस्टर्स मीट बाँस उत्पादक किसान, शिल्पियों, उद्यमियों, निवेशकों और शासन के बीच के अंतर को पाटने का काम करेगी। देश के मध्य में स्थित होने के कारण मध्यप्रदेश बड़े उद्योगों के लिये गेटवे का काम भी करेगा।
मीट का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को होगा। किसान खेती के साथ बाँस उत्पादन करेंगे और बाँस मिशन की पहल से पहले मात्र टोकरी, चटाई और मामूली हस्तशिल्प बनाने वाले शिल्पियों का कौशल उन्नयन होगा। अब परम्परागत शिल्प के साथ अच्छी आमदनी कराने वाला आधुनिक फर्नीचर, फ्लोर टाइल्स, कपड़ा, बोर्ड आदि-आदि बनायेंगे। बाँस वन बढ़ने से विश्व पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुख्य आतिथ्य, मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता और वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के विशिष्ट आतिथ्य में 20 जून को शाम 5 बजे से प्रशासन अकादमी में मीट शुरू होगी। आठ सत्र में होने वाली इस तीन दिवसीय मीट में बाँस निवेशक, शिल्पी, किसान, उद्यमी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे।