ग्वालियर, 01 जून एजेंसीः एहतियात बरतकर स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। स्वाइन फ्लू की रोकथाम और आवश्यक उपाय करने के लिये राज्य सरकार के स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा समय-समय पर दिशा निर्देश भी जारी किए जाते हैं। इस परिपालन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अर्चना शिंगवेकर ने सभी संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को लिखित में अवगत करा दिया है।

 

स्वाइन फ्लू के संबंध में भारत शासन द्वारा जो गाइड लाइन दी गई है उसके अनुसार स्वाइन फ्लू के रोगियों को ए, बी, सी श्रेणियों में बाँटा गया है। इनमें ए श्रेणी के रोगियों को सामान्य सर्दी जुकाम के लक्षण या तकलीफ हो तो उन्हें दवायें देकर घर पर आराम करने की सलाह दी जाती है।

 

बी श्रेणी में वे रोगी रखे गये हैं जिन्हें 100 डिग्री अथवा उससे तेज बुखार हो तथा गले में खराश, खाँसी, हाथ-पाँव, सिर दर्द व उल्टी अथवा दस्त की तकलीफ हो। साथ ही 5 वर्ष की उम्र तक के ऐसे बच्चे जिनमें ए श्रेणी के लक्षण हों तथा 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती मातायें, फेफड़े, लीवर, गुर्दा, मधुमेह, कैंसर, एड आदि लम्बी बीमारियों वाले मरीजों को भी इस श्रेणी में रखा गया है। इसमें रोगियों को उनकी मूल बीमारियों के उपचार के साथ स्वाइन फ्लू का उपचार (टेमी फ्लू) दिया जाये और मरीज को घर पर आराम की सलाह दी जाती है।

 

सी श्रेणी के मरीजों में बी श्रेणी के लक्षण के साथ-साथ साँस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द, खकार में खून आना, नाखून नीले पड़ना आदि लक्षण होते हैं। ऐसे रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर स्वाइन फ्लू का उपचार यानी टेमी फ्लू व अन्य तकलीफ के अनुसार उपचार किया जाता है। इन रोगियों का थ्रोट स्वाब लेवोरेटरी में जाँच के लिये भेजा जाता है।

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