भोपाल, फरवरी 2015/ नागरिकों को स्वाइन फ्लू से बचाव का संदेश विभिन्न माध्यम से देने के साथ ही विभिन्न प्रयासों के बाद भी रोग होने पर अस्पतालों में नि:शुल्क उपचार उपलब्ध है। प्रदेश के सभी 51 जिला अस्पताल में रोगियों के लिए दवा उपलब्ध है। भोपाल संभाग के लिए 5 हजार टेमीफ्लू प्रदान की गई है।

भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को 10 हजार (जिसमें शासकीय और निजी अस्पताल दोनों शामिल हैं), इंदौर संभाग को 10 हजार, ग्वालियर और उज्जैन को 5-5 हजार और सागर एवं रीवा को 2-2 हजार टेमीफ्लू दी गई है। प्रोफेशनल्स को जरूरी वेक्सीन भी दिलवाई गई हैं। सभी मेडिकल कॉलेज में स्क्रीनिंग व्यवस्था सुनिश्चित की गई है । जबलपुर लेब में रोजाना 80 और ग्वालियर में 40 सेम्पल की जाँच की व्यवस्था है । लेब की क्षमता वृद्धि से जाँच में आसानी हुई है । रोग के खतरों को कम करने के लिए अस्पतालों में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्युपमेंट किट की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। ये किट पूर्व में 1000 प्राप्त हुई थीं । विन्ध्याचल भवन स्थित एनआईसी सभा कक्ष से वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के दौरान राज्य सरकार ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से 1000 किट और प्रदान करने का आग्रह किया है।

प्रदेश में पिछले चार दिन में स्वाइन फ्लू से पाँच रोगी की मृत्यु हुई है। मंत्रालय में समन्वय समिति की बैठक में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने बताया कि प्रदेश के अन्य राज्यों के पहले सजग हो जाने से इस रोग की स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़ी है। इंदौर के श्रीराम और श्री अरविंद की 10 फरवरी, धार के श्री शेर सिंह की मृत्यु एमवाय में 11 फरवरी को, खरगोन के श्री अब्दुल की मृत्यु एम वाय अस्पताल में 12 फरवरी को और दमोह की श्रीमती सावित्री मिश्रा की मृत्यु 12 फरवरी को हुई है। इन रोगियों को स्वाइन फ्लू के साथ ही अन्य रोग और संक्रमण समस्याएँ भी थीं।

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