भोपाल, जून 2015/ सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ प्लास्टिक इंजीनियरिंग की विस्तारित इकाई का शिलान्यास भोपाल में 20 जुलाई को होगा। इसके लिए सेमरा कलां में 10 एकड़ की भूमि आरक्षित कर दी गयी है। कुल 40 करोड़ की विस्तार परियोजना में 20 करोड़ रुपये केंद्र और 20 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश सरकार देगी। इसके विस्तार से विद्यार्थियों की संख्या 3500 से बढ़कर 7000 हो जायेगी। प्रदेश में अपनाई गयी उर्वरक की अग्रिम भण्डारण की व्यवस्था को सभी राज्य में लागू किया जायेगा। इस आशय के निर्देश केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री अनंत कुमार ने उच्च-स्तरीय बैठक में अपने मंत्रालय के अधिकारियों को दिये। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता की ओर से अनंत कुमार का आभार व्यक्त करते हुए कहा की राज्य की ओर से केंद्र की विकास परियोजनाओं को पूरा सहयोग और समर्थन दिया जायेगा।

श्री अनंत कुमार मंत्रालय में उर्वरक प्रदाय, उर्वरक प्लांट लगाने और अपने केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय से संबंधित मध्यप्रदेश के सभी मुद्दों का समाधान करते हुए प्रदेश को कई सौगात दी। बैठक में उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी उपस्थित थीं।

राज्य सरकार की तैयारियों और उत्साह को देखते हुए अनंत कुमार ने मुरैना में पॉलीमर पार्क की स्वीकृति देते हुए इसे अगले छह प्रस्तावित पार्क में शामिल करने की सहमति दे दी। राज्य सरकार ने इसके लिए 128 एकड़ जमीन आरक्षित कर दी है। साथ ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार कर ली गयी है। भारत सरकार की ओर से इसके लिए 40 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाये जायेंगे।

बैठक में बताया गया कि उर्वरक के भण्डारण में प्रदेश ने रिकार्ड बनाया है। आज की स्थिति में 8.65 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का भंडार है जो प्रदेश के लिये पर्याप्त है। किसान अग्रिम भण्डारण कर रहे हैं। प्रदेश में उर्वरक की स्थिति की चर्चा में बताया गया कि इतिहास में पहली बार प्रदेश को अपनी जरूरत से 25 प्रतिशत यूरिया और डी ए पी ज्यादा मिला। राज्य में उर्वरक की खपत 84 किलो प्रति एकड़ है और जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर 150 किलो प्रति एकड़ की बराबरी कर लेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को नीम कोटेड यूरिया का उपयोग करने के लिए शिक्षित और प्रेरित किया जायेगा।

मध्य प्रदेश में खाद के अग्रिम भण्डारण की व्यवस्था की मुक्त कंठ से तारीफ करते हुए श्री अनंत कुमार ने अपने साथ बैठक में आये संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मध्य प्रदेश में अपनाई गयी व्यवस्था को सभी राज्य में लागू करने के लिए कहें।

प्रदेश में उर्वरक की समस्या से हमेशा के लिये निजात पाने के उद्देश्य से राज्य में उर्वरक प्लांट लगाने पर भी चर्चा हुई। श्री अनंत कुमार ने बताया कि 2014 की नई निवेश नीति के अंतर्गत कोई निजी कंपनी या समूह यूरिया प्लांट लगा सकते हैं। भारत सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने झाबुआ में यूरिया प्लांट लगाने की अनुमति दी। उन्होंने बताया कि देश में 30 उर्वरक प्लांट है। देश के इतिहास में पहली बार उर्वरक का 30 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन हुआ है।

मुख्यमंत्री ने महाकौशल क्षेत्र में उर्वरक की कमी पूरी करने के लिए नेशनल फ़र्टिलाइज़र लिमिटेड से जबलपुर में विस्तारित निर्माण इकाई शुरू करने का प्रस्ताव रखा। कहा कि यहाँ पानी, बिजली और जमीन पर्याप्त है। सिर्फ गैस का प्रदाय जरूरी होगा। इस पर अनंत कुमार ने कहा कि एनएफएल को प्राथमिकता देते हुए और अन्य नामी कम्पनियों से जबलपुर में उर्वरक प्लांट लगाने के लिए आग्रह किया जायेगा। इसके लिए उन्होंने मध्यप्रदेश के साथ उद्योग समूहों की बैठक बुलाने के निर्देश दिए। यह बैठक दिल्ली में 10 जून को होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मध्यप्रदेश में उर्वरक कारखाने लगने से प्रदेश में अगले तीन साल में 26 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन होने लगेगा, जबकि प्रदेश में खपत 20 लाख मीट्रिक टन है। इससे उर्वरक की कमी दूर होगी और करीब 30 हजार लोग को रोजगार भी मिलेगा। इसके साथ ही प्रदेश उर्वरक निर्यात करने वाला राज्य बन जायेगा। यूरिया प्लांट के लिये जरूरी गैस का प्रदाय हर हाल में किया जायेगा।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एण्‍ड रिसर्च भोपाल में स्थापित करने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। श्री अनंत ‍कुमार ने कहा कि मध्य प्रदेश में फार्मा  इंडस्ट्री की सघनता को देखते हुए इंस्टीट्यूट का भोपाल में स्थापित होना न्यायोचित है। बीना में नाफ्था क्रेकर इकाई की स्थापना की संभावना पर भी चर्चा हुई। इसके लिए टेक्नो इकानामिक फिजिबिलिटी रिपोर्ट राज्य सरकार तैयार करेगी। इसके लिये मध्य प्रदेश और केन्द्रीय रसायन मंत्रालय के बीच एमओयू होगा। उन्होंने पेट्रो केमिकल निवेश क्षेत्र बीना  में 20 हजार करोड़  के निवेश की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

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