भोपाल, जुलाई 2014/ स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि तम्बाकू के उपयोग पर नियंत्रण के लिए इसके उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर मध्यप्रदेश की पहल को अन्य प्रांत सराहनीय मानते हैं। अब अन्य प्रांत भी यह नीति अपना रहे हैं। आमतौर पर मनुष्य अज्ञानता में अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता है। मध्यप्रदेश में लोगों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए माउथ फ्रेशनर और सादा पाउच के नाम पर बिकने वाली सामग्री की प्रयोगशाला में जाँच करवाई जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा यहाँ ‘तम्बाकू से होने वाली बीमारियों का भारत पर आर्थिक बोझ’ विषय पर परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे।
परिचर्चा स्वास्थ्य विभाग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और वालिंटियरी हेल्थ एसोसिएशन के सहयोग से की। डॉ. मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी तम्बाकू नियंत्रण को अपने मंत्रालय के प्राथमिक कार्यों में स्थान दिया है। मध्यप्रदेश तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करते हुए उदाहरण बनेगा। परिचर्चा को एम.पी. वालिंटियरी हेल्थ एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक मुकेश सिन्हा, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण, स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल ने भी संबोधित किया। परिचर्चा में बताया गया कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। जन-सहयोग से इस कानून का प्रभावी पालन हो सकता है।
मंत्री डॉ. मिश्रा ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की पुस्तिका एक ‘इकानॉमिक बर्डन ऑफ टोबेको रिलेटेड डिसीस इन इंडिया-एक्जीक्यूटिव समरी’ का विमोचन किया।
कार्यक्रम में बताया गया कि देश में तम्बाकू सेवन करने वालों में होने वाली बीमारियों पर काफी राशि खर्च करनी पड़ती है। वर्ष 2011-12 में राज्यों और केंद्र सरकार का मिलकर स्वास्थ्य पर कुल खर्च का 12 प्रतिशत खर्च हुआ। मघ्यप्रदेश में 35 से 69 वर्ष आयु समूह में यह खर्च 1373 करोड़ रुपए हुआ। वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण भारत (2009-10) के मुताबिक मध्यप्रदेश में 40 प्रतिशत वयस्क तम्बाकू का सेवन करते हैं। इनमें 17 प्रतिशत धूम्रपान और 31 प्रतिशत चबाने वाली तम्बाकू का सेवन करते हैं।