भोपाल, नवम्बर 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर में मूक-बधिर बच्चों के लिये महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। कहा कि प्रदेश में सांकेतिक भाषा को भाषा का दर्जा देने के साथ ही इसके 10 आईटीआई संभागीय मुख्यालय पर खोले जायेंगे। यह कार्य एक साल में पूरा किया जायेगा। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहाँ सांकेतिक भाषा का आईटीआई स्थापित होगा। प्रदेश के सभी उत्कृष्ट विद्यालय में सांकेतिक भाषा पढ़ाने वाले दो-दो शिक्षक नियुक्त किये जायेंगे। श्री चौहान इंदौर में मूक-बधिर बच्चों के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने नि:शक्त बच्चों और उनके लिये कार्य कर रहे संगठनों से अपने इंदौर प्रवास के दौरान 19 नवम्बर को वायदा किया था कि वे इस वर्ग के कल्याण के लिये ठोस कदम उठायेंगे। अपना वायदा निभाया। कार्यक्रम में बच्चों से संवाद कर उनकी समस्याएँ पूछी। कहा कि सांकेतिक भाषा में डी.एड. एवं बी.एड. करवाया जायेगा। इसका पूरा खर्च राज्य शासन वहन करेगा। डी.एड. एवं बी.एड. के विद्यार्थियों को न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करना होगी। चिकित्सा, इंजीनियरिंग तथा अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले नि:शक्त बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी राज्य सरकार उठायेगी। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में मदद के लिये अनुवादक भी रखे जायेंगे। खेल-कूद के लिये भी विशेष सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी। नि:शक्त बच्चों में शारीरिक कमियाँ हैं पर उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत उन्हें अवसर उपलब्ध करवाने की है, जो राज्य शासन करवायेगा।
श्री चौहान ने नि:शक्त बच्चों को मिठाई खिलाई, उपहार और उन्हें आर्थिक सहायता दी। बचपन से बोलने एवं सुनने में असमर्थ पूर्वी के इलाज के लिये मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना में सहायता दी गयी थी। कार्यक्रम में पूर्वी ने कविता सुनायी। यह बालिका अब बोलने और सुनने लगी है। इस योजना में इंदौर जिले के 46 बच्चों का सफलता से कॉक्लियर इम्प्लांट किया गया है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम का शुभारंभ स्वयं न करते हुए नि:शक्त बच्चों से करवाया।