भोपाल, अगस्त 2014/ प्रदेश में पाँच वर्ष से कम आयु के एक करोड़ से अधिक बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए जिला अस्पताल से लेकर आरोग्य केंद्र स्तर तक ओआरएस पैकेट उपलब्ध करवाए गए हैं। पृथक कार्नर बनाकर अस्पतालों में ओआरएस और जिंक टेबलेट मुहैया करवाई गई। गाँव में लगभग 40 हजार आशा कार्यकर्त्ता के अलावा अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता और आँगनबाड़ी कार्यकर्त्ता बच्चों में गहन दस्त रोग नियंत्रण के लिए कार्य कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में 28 जुलाई से 8 अगस्त के मध्य जन-जागरुकता के लिए कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। छ: माह तक शिशु को सिर्फ माँ का दूध देने का परामर्श भी गाँव-गाँव में दिया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं द्वारा दिए जा रहे संदेश में यह भी बताया जा रहा है कि दस्त रोग होने पर तत्काल जिंक टेबलेट और ओआरएस का उपयोग प्रारंभ किया जाए। जिंक की गोली 14 दिन तक अवश्य दी जाए , भले ही रोग नियंत्रित हो गया हो।

नेशनल हेल्थ मिशन के संचालक फैज अहमद किदवई ने बताया कि रोगग्रस्त शिशु को उपचार के लिए स्वास्थ्य संस्था में तत्काल रेफर किया जाना चाहिए। डायरिया के लक्षणों में दिन में पाँच बार से अधिक पानी जैसे दस्त होने, प्यास अधिक लगना, तेज बुखार, सुस्त रहना, मल में खून आना और दिन में दस बार से अधिक उल्टी होना शामिल है। रोगी को जननी एक्सप्रेस या एम्बुलेंस सेवा 108 की मदद से स्वास्थ्य संस्था तक पहुँचाया जा सकता है।

राज्य शासन द्वारा गहन दस्त रोग नियंत्रण पखवाड़े में 28 जुलाई से 8 अगस्त तक अनेक विभाग सक्रिय योगदान दे रहे हैं। इनमें शिक्षा, महिला-बाल विकास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और पंचायत राज संस्थाएँ शामिल हैं। प्रदेश में बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। दस्त रोग के कारण 14 प्रतिशत बाल मृत्यु होने के तथ्य को गंभीरता से लिया गया है। बाल्यावस्था में दस्त रोग के मुख्य कारण दूषित पानी, संक्रमणयुक्त भोजन, व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी आदि के संबंध में लोगों को समझाइश देने का कार्य भी किया जा रहा है।

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