भोपाल, दिसम्बर 2014/ रोगों की रोकथाम और उपचार के कार्य में उपलब्ध संसाधनों और सुदृढ़ सूचना तंत्र का उपयोग कर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। यह बात प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रवीर कृष्ण ने एक कार्यशाला में कही।

प्रमुख सचिव ने कहा कि प्रत्येक आशा कार्यकर्ता और ए.एन.एम. को सीयूजी सिम प्रदान की गई है। ग्राम आरोग्य केंद्र तक औषधियों की उपलब्धता, रोगियों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था और अन्य तकनीकी साधन मुहैया करवाए गए हैं। ऐसी स्थिति में जनता को उपचार की आवश्यक सुविधाएँ देना प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मी का दायित्व है। प्रमुख सचिव ने रोग नियंत्रण के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल के पालन के निर्देश भी दिए। कार्यशाला में बताया गया कि कोई भी रोग भयावह नहीं होता। आवश्यक जानकारी के प्रचार-प्रसार और रोकथाम एवं उपचार पर ध्यान देना आवश्यक है।

ग्राम आरोग्य केंद्र और अन्य स्वास्थ्य केंद्र पाँच व्यक्ति में बुखार के लक्षण देखते ही तत्काल उपचार प्रारंभ कर इसकी सूचना जिला, संभाग और राज्य पर दे। व्यक्तिगत रूप से स्वास्थ्य केंद्र पहुँचने वाले प्रत्येक रोगी को इलाज की सुविधा प्रदान की जाए। प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए कि माताओं को आयरन गोलियों का वितरण और बच्चों का टीकाकारण कार्य सुनिश्चित किया जाए। कार्यशाला में इबोला वायरस, स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1) मलेरिया, डेंगू और अन्य मौसमी रोगों की रोकथाम के संबंध में विस्तृत जानकारियाँ दी गईं। इसके साथ ही इन रोगों के लक्षणों, बचाव के उपायों, शासन की तैयारियों, भारत सरकार के दिशा-निर्देश की जानकारी भी दी गई।

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