भोपाल, अगस्त 2014/ भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष अमित शाह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया है। संसदीय बोर्ड में शामिल होने वाले शिवराजसिंह भाजपा के अकेले मुख्यमंत्री हैं। पार्टी के इस निर्णय ने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया है जिनमें यह अनुमान लगाया जा रहा था कि व्यापम घोटाले सहित अन्य कई बातों को लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व शिवराजसिंह से खफा है। हाल ही में प्रदेश में हुए विधानसभा के तीन उपचुनावों में से एक बहोरीबंद की सीट हार जाने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि शिवराज का जादू कम हो गया है। लेकिन पार्टी नेताओं ने तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज पर पूरा भरोसा जताते हुए उन्हें केंद्रीय स्तर पर लिए जाने वाले निर्णयों के मंच पर भी स्थान दिया है। पार्टी के इस फैसले से शिवराजसिंह का प्रदेश के साथ साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्व बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि श्री नरेंद्र मोदी के अपने बूते पर केंद्र में सरकार बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में लड़े गए लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने प्रदेश की 29 में से 27 सीटें जीतकर नरेंद्र मोदी के लिए केंद्र में सरकार बनाने की मजबूत जमीन तैयार की थी। ऐसा लगता है कि पार्टी के नए निजाम ने भी मध्यप्रदेश और शिवराजसिंह के योगदान और महत्व को पूरा सम्मान दिया है। मोदी की सरकार और अमित शाह की टीम में मध्यप्रदेश का अच्छा खासा दबदबा है। मोदी सरकार में सर्वाधिक पांच मंत्री सुषमा स्वराज, नरेंद्रसिंह तोमर, थावरचंद गेहलोत, नजमा हेपतुल्ला और प्रकाश जावड़ेकर जहां मध्यप्रदेश के कोटे से हैं वहीं लोकसभा अध्यक्ष पद पर इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन विराजमान हैं। इसी तरह पार्टी संगठन में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा को अमित शाह की नई टीम में उपाध्यक्ष और सांसद ज्योति धुर्वे को सचिव बनाया गया है। मघ्यप्रदेश के ही एक और बड़े नेता कप्तानसिंह सोलंकी को हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल बनाया गया है। पार्टी ने उन्हें कुछ साल पहले राजस्थान में संगठन का प्रभारी बनाकर भेजा था और सोलंकी की कुशल रणनीति का परिणाम रहा कि भाजपा ने न केवल राजस्थान में अपनी सरकार बनाई बल्कि लोकसभा चुनाव में भी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए सभी 25 सीटें अपनी झोली में डाल लीं। सोलंकी को इस योगदान के पुरस्कार स्वरूप राज्यपाल पद से नवाजा गया।
हाल ही में पार्टी के एक और फैसले ने भी मध्यप्रदेश के कद में काफी इजाफा किया है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के वरिष्ठ मंत्री, कुशल संगठक और चुनाव प्रबंधन के रणीनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय को हरियाणा चुनाव का प्रभारी बनाया है। एक तरह से यह भी बड़ा संकेत है कि पार्टी मध्यप्रदेश के नेताओं पर कितना भरोसा कर रही है।
स्वयं को संसदीय बोर्ड जैसी महत्वपूर्ण इकाई में स्थान दिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि- ‘’मैं मेहनत के साथ पार्टी को मजबूत करने की कोशिश करूंगा।’ उधर, कैलाश विजयवर्गीय ने हरियाणा चुनाव की जिम्मेदारी मिलने पर प्रतिक्रिया दी- ‘पार्टी नेतृत्व ने चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी है। मैं कोशिश करूंगा कि हरियाणा में नई इबारत लिखी जाए।’
दरअसल शिवराज सिंह चौहान के भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किए जाने की चर्चा लंबे समय से हो रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले जब पार्टी ने नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का सदस्य बनाया था तो खबरें छपी थीं कि शिवराजसिंह चौहान को भी बोर्ड में जगह दी जा रही है। लेकिन उस समय केवल मोदी को ही मौका मिल पाया था। पर अब पार्टी को जैसे ही अवसर मिला शिवरासिंह चौहान को बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। माना जा रहा है कि पार्टी मध्यप्रदेश के साथ साथ शिवराजसिंह की बढ़ती लोकप्रियता का लाभ राष्ट्रीय स्तर पर भी लेना चाहती है और इसीलिए उन्हें दोनों महत्वपूर्ण इकाइयों में स्थान दिया गया है। शिवराजसिंह के महत्व और पार्टी में उनके असर का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में नरेंद्रसिंह तोमर के स्थान पर नया प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के मामले में भी भाजपा आलाकमान ने शिवराज की राय को ही तवज्जो दी और उनकी पसंद कहे जाने वाले नंदकुमारसिंह चौहान को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।