भोपाल, नवम्बर 2014/ राज्य शासन ने प्रदेश की 16,000 से अधिक एबीएल (गतिविधि आधारित शिक्षण) शालाओं की सघन मॉनीटरिंग के लिए विस्तृत कार्य-योजना बनाई है। शासन ने सभी जिला कलेक्टर से एक सप्ताह में एबीएल शालाओं की मॉनीटरिंग का कार्य प्रारंभ करवाने के निर्देश दिये हैं। कलेक्टर्स से कहा गया है कि वे अकादमिक गुणवत्ता के उन्नयन की दृष्टि से प्रत्येक शाला में मॉनीटरिंग का कार्य तत्काल प्रारंभ करवायें।
कलेक्टर जिले में कार्य-योजना संबंधी आदेश जारी करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य, डाइट/ डीआरसी तथा जिला परियोजना समन्वयक को उत्तरदायी अधिकारी नियुक्त करेंगे। एबीएल शालाओं के अकादमिक उन्नयन के लिए प्रत्येक स्तर पर उत्तरदायित्व का निर्धारण किया गया है। जन-शिक्षा केन्द्र स्तर पर जनशिक्षक एवं जन-शिक्षा केन्द्र प्रभारी मॉनीटरिंग करेंगे। जन-शिक्षक अधीनस्थ शाला की प्रत्येक माह कम से कम एक बार आवश्यक रूप से मॉनीटरिंग करेंगें। वे माह प्रारंभ होने के पहले अपना कार्यक्रम जन-शिक्षा केन्द्र प्रभारी एवं डीआरसी को देंगे। मॉनीटरिंग के दौरान सुनिश्चित किया जायेगा कि एबीएल का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है या नहीं। अकादमिक कमियाँ पाये जाने पर उसे दूर करने के प्रयास होंगे। वरिष्ठ स्तर से मदद की आवश्यकता होने पर संबंधित को अवगत करवाया जायेगा। अकादमिक प्रतिवेदन प्रत्येक माह भेजना होगा। जन-शिक्षा केन्द्र प्रभारी प्रत्येक माह जन-शिक्षकों के अकादमिक प्रतिवेदन के आधार पर कमजोर अथवा समस्या वाली शालाओं का भ्रमण करेंगे। प्रतिवेदन की समीक्षा में वरिष्ठ स्तर से सहयोग की अपेक्षा होने पर उसे अग्रेषित किया जायेगा।
विकास-खण्ड स्तर पर पदस्थ बीएसी एवं बीआरसी के मध्य एबीएल चयनित जन-शिक्षा केन्द्रों को विभाजित करते हुए आदेश जारी होंगे। माह के पहले एवं दूसरे सप्ताह में बीएसी एवं बीआरसी द्वारा न्यूनतम 5-5 शाला का दौरा किया जायेगा। बीएसी एक शाला में आधे दिन रुककर कार्य देखेंगे। जिला-स्तरीय मॉनीटरिंग में जिला शिक्षा केन्द्रों तथा डाइट/ डीआरसी में पदस्थ समस्त डीपीसी और व्याख्याताओं के बीच विकास-खण्डों के चयनित जन-शिक्षा केन्द्रों का विभाजन किया जायेगा। उनके द्वारा जिले में प्रत्येक माह कम से कम 50-50 शाला का भ्रमण तीसरे एवं चौथे सप्ताह में अनिवार्य रूप से किया जायेगा। भ्रमण के दौरान आधे दिन शाला में रुककर गतिविधियों का अवलोकन किया जायेगा। शाला के अकादमिक उन्नयन के लिए कार्य-योजना तैयार करवाई जायेगी तथा उसका प्रतिमाह फॉलोअप होगा। भ्रमण करने वाले अधिकारी अपने कार्यक्रम की सूचना वरिष्ठ कार्यालय/ अधिकारी को देंगे। प्रत्येक त्रैमास में एबीएल शालाओं के उपलब्धि स्तर का परीक्षण कर प्राप्त परिणामों का विश्लेषण होगा तथा शालावार अकादमिक उन्नयन के लिए कार्य-योजना तैयार की जायेगी।
राज्य स्तर से जिला प्रभारी के रूप में नियुक्त अधिकारी माह के चौथे सप्ताह में जिले की न्यूनतम 3 शाला का भ्रमण करेंगे। वे अकादमिक उन्नयन के प्रयासों की समीक्षा कर मार्गदर्शन देंगे। राज्य-स्तरीय मॉनीटरिंग के बाद अपर मिशन संचालक, राज्य शिक्षा केन्द्र को शालावार प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा। प्रतिवेदन के आधार पर आयुक्त, राज्य शिक्षा केन्द्र से प्राप्त निर्देशों को जिला-स्तर पर भेजकर अकादमिक उन्नयन के लिए आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। यूनीसेफ के सलाहकारों द्वारा भी उनके कार्य-क्षेत्र में शालाओं की मॉनीटरिंग की जायेगी। प्रत्येक स्तर पर एबीएल शाला की समीक्षा बैठक कर कार्य-योजना तैयार की जायेगी। सभी स्तर पर कार्य की प्रगति का रिकार्ड रखा जायेगा। मॉनीटरिंग के आधार पर शालावार कार्य-योजना तैयार होगी।