भोपाल, जुलाई 2015/ भारतीय जनता पार्टी के लिए ये ग्रहशांति कराने के दिन हैं। विपक्ष तो ठीक है। भाजपा के घर में से ही रह रह कर विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। परायों को तो एक बार संभाला भी जा सकता है लेकिन अपने ही जब वार करने लगें तो बात गंभीर हो जाती है।
ताजा मामला पार्टी के वरिष्ठ नेता शांताकुमार के खत का है। वैसे तो सुनकर बड़ा अजीब लग सकता है कि डिजिटल इंडिया के जमाने में आज भी कुछ लोग खतो किताबत में लगे हैं। आज तो एसएमएस, वाट्सएप, फेसबुक और ट्वीटर का जमाना है। आज खत लिखने और उन्हें सहेजने की बात तो दूर जो कुछ संदेसे आते भी हैं वे पढ़ने के बाद अक्सर डिलीट के डस्टबिन में डाल दिए जाते हैं।
खैर, शांताकुमार ने ताजा सूरते हाल का हवाला देते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को जो पत्र लिखा उसमें कहा गया कि जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं उससे भाजपा कार्यकर्ताओं का सिर शर्म से झुक जाता है। उन्होंने इसी संदर्भ में व्यापमं का उदाहरण दे डाला। जाहिर था इसकी प्रतिक्रिया होनी थी और हुई भी। इस मामले पर विपक्ष के हमलों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को इस खत ने सकते में डाल दिया। पीछे से हुआ यह हमला शिवराज के लिए अप्रत्याशित था।
विपक्ष को जवाब दे रहे शिवराज ने शांता के खत का जो जवाब दिया है वो बताता है कि वे खंदक की लड़ाई भी लड़ने को तैयार हैं। एक तरफ कांग्रेस ने उनके इस्तीफे को अपना लक्ष्य बना लिया है तो शिवराज ने भी ‘न दैन्यं न पलायनम्’ की मुद्रा अख्तियार कर ली है। शिवराज ने शांताकुमार पर पलटवार करते हुए कहा- ‘’मेरा यह दृढ़ संकल्प है कि अपराधियों को दण्ड मिले। इसे पूरा करने की कोशिश में मनगढ़ंत एवं बेबुनियाद आरोपों से विचलित होने या निराश होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मुझे गर्व है कि मैंने बिना किस भय और पक्षपात के जांच करवाई। इस घटनाक्रम में सिर तो उन कांग्रेसी नेताओं को झुका कर चलना चाहिए जिन्होंने फर्जी साक्ष्य निर्मित कर मेरे ऊपर आरोप लगा, उच्च न्यायालय जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर विपरीत टिप्पणियां कीं तथा परिवारों में हुई दुखद मौतों में राजनीतिक अवसर तलाशे।‘’
शिवराज को इस मामले में वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग का भी साथ मिला है। सारंग ने भी शांताकुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा- ‘’मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले पर कार्रवाई सामने आने के बाद भाजपा कार्यकर्ता का सिर शर्म से झुका नहीं बल्कि गर्व से तना है। इसका कारण है मुख्यमंत्री शिवराजसिंह का साहस, उनकी नैतिकता और प्रशासनिक शुचिता लाने का उनका संकल्प। जिसके चलते उन्होंने खुद यह घोटाला उजागर किया।‘’ सारंग ने शांताकुमार को खरी खरी सुनाते हुए कहा कि ‘’आपका पत्र आपकी अदूरदर्शिता, अयोग्यता और ढलती उम्र का परिचायक है और पार्टी के संस्कारों पर सवाल खड़े करने वाला है।‘’
शांता कुमार को दिए गए शिवराज के जवाब और सारंग की फटकार ने व्यापमं मामले पर पार्टी के भीतर ही नई बहस छेड़ दी है। पार्टी का एक धड़ा मानता है कि इस मामले में नैतिक आधार पर कोई न कोई कार्रवाई जरूर होनी चाहिए लेकिन जिस तरह शिवराज और सारंग ने जवाबी हमला बोला है उससे लगता है कि चाहे विपक्ष का हमला हो या अंदरूनी वार, फिलहाल शिवराज जैसे नेता हार मानने वाले नहीं हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस ने ऐसे सभी मामलों पर न सिर्फ माहौल खड़ा किया बल्कि भाजपा के अंदर भी दरार पैदा कर दी है। यह उसके लिए बड़ी सफलता है और भाजपा के लिए मुश्किल की घड़ी।