भोपाल, फरवरी 2016/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में वाणिज्यकर विभाग की समीक्षा की। उन्होंने 10 लाख से अधिक आय वाले कर दाताओं को 100 बोतल शराब रखने की अनुमति के प्रस्ताव को नामंजूर कर प्रावधान को प्रस्तावित आबकारी नीति से हटाने के निर्देश दिये। बैठक में वाणिज्यकर मंत्री जयंत मलैया, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव वाणिज्य कर मनोज श्रीवास्तव एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने वाणिज्यक कर संग्रहण में देश का अग्रणी राज्य होने के लिये विभाग की सराहना की। अधिकारियों को बधाई दी। बताया गया कि प्रदेश का वाणिज्य कर विभाग मूल्यांकन कार्य में भी देश का अग्रणी राज्य है। प्रदेश में वर्ष 2013-14 तक का मूल्यांकन कार्य पूर्ण हो चुका है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी मध्यप्रदेश का वाणिज्यक कर विभाग देश का अव्वल राज्य है। वर्ल्ड बैंक के प्रतिवेदन के अनुसार कर प्रक्रिया में पंजीयन एवं कर अनुपालन श्रेणी में विभाग का प्रतिशत 82.5 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 48.12 प्रतिशत ही है।

बताया गया कि राज्य में लीज और किरायेनामे पर देय स्टाम्प शुल्क में 50 प्रतिशत की कमी गई है। माइनिंग लीज की स्टाम्प शुल्क संगणना को सरल व पारदर्शी बनाया गया है। ऋण संबंधी हाइपोथिकेशन, इक्वीटेबल मॉर्टगेज आदि दस्तावेजों पर देय स्टाम्प शुल्क की दरों मे समरूपता लाई गई है। विक्रय-पत्र के विभिन्न स्लेब समाप्त कर मात्र एक दर निर्धारित की गई है। रजिस्ट्रीकरण फीस सारणी में 23 के स्थान पर 9 अनुच्छेद किये गये हैं। उपकर अधिनियम में संशोधन दरें कम कर करारोपण की जटिलता दूर की गई है।

प्रदेश में अब तक 2 लाख 87 हजार दस्तावेज का ई-पंजीयन हो चुका है। सेवा प्रदाताओं के आवेदन ऑनलाइन लेने की व्यवस्था की गई है। अभी तक 5 हजार 500 सेवा प्रदाता को लाइसेंस जारी हो चुके हैं। ई- स्टाम्प शुल्क के रूप में ऑनलाइन 1395 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है।

बैठक में बताया गया कि लोक सेवा आयोग से पदों की पूर्ति होने तक विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त किया जाएगा। विभाग के पास उपलब्ध ऑन लाइन जानकारी का विश्लेषण करने के लिये संभाग स्तर पर आई.टी. प्रोफेशनल तैनात किये जायेंगे। इंदौर में वाणिज्यक कर विभाग के भवन निर्माण के लिये अगले बजट में प्रावधान किया जायेगा।

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