भोपाल, अगस्त 2014/ मध्यप्रदेश में पिछले 10 वर्ष में महिलाओं के सशक्तीकरण और उनकी बेहतरी के प्रयासों को राज्य सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। महिलाओं के लिये जन्म से लेकर, शिक्षा, स्वास्थ्य, विवाह और संतान के जन्म तक की योजनाएँ सफलता से लागू करने से प्रदेश कन्या जन्म को अभिशाप मानने की मानसिकता से लगभग उबर गया है। राजनैतिक और सामाजिक सशक्तीकारण के साथ मध्यप्रदेश पहला ऐसा प्रदेश है जिसने निर्भया प्रकरण के बाद प्रदेश की युवतियों को शारीरिक रूप से सशक्त बनाने की वीरांगना योजना सफलता से लागू की।
योजना के माध्यम से प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे दुर्व्यवहार-अत्याचार के प्रति संवदेनशील मध्यप्रदेश का पूरी तरह सचेत एवं सक्रिय रूप सामने आया। प्रदेश का खेल एवं युवा कल्याण विभाग यह योजना संचालित कर रहा है। योजना के माध्यम से प्रदेश की युवतियों और महिलाओं को आत्म-रक्षा का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
युवतियों/महिलाओं को आत्म-रक्षा के लिए प्रत्येक जिला मुख्यालय पर मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रत्येक जिले का लक्ष्य 500 युवतियों/महिलाओं को प्रशिक्षित करने का है। वीरांगना योजना में मार्च 2014 तक 42 जिलों में कुल 19 हजार 890 युवतियों/महिलाओं को आत्म-रक्षा का प्रशिक्षण दिया गया।
उल्लेखनीय है कि योजना में युवतियों/महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण द्वारा शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से सशक्त बनाया जाता है। इसमें 10 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की युवतियों, महिलाओं को कार्य-स्थल, शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक-स्थलों आदि पर किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए उच्च प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है।
वीरांगना योजना के शारीरिक प्रशिक्षण का प्रारूप मार्शल आर्ट, जूडो-कराते, ताइक्वॉडों, कुश्ती आदि खेलों में उपयोग की जाने वाली तकनीक को समाहित करते हुए तैयार किया गया है। इसके अतिरिक्त मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञों द्वारा सेमीनार आयोजित कर ऐसी सच्ची घटनाओं की वीडियो क्लीपिंग दिखाई जाती है जिसमें किसी महिला ने विषम परिस्थितियों में साहस का परिचय देते हुए अपनी आत्म-रक्षा की हो।