भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार का मूल मंत्र हर धर्म, हर वर्ग, हर जाति के लोगों को साथ लेकर चलने का रहा है। अल्पसंख्यक कल्याण मध्यप्रदेश सरकार की तयशुदा प्राथमिकताओं में शामिल है। अल्पसंख्यक वर्ग के नौजवानों को शिक्षित कर उन्हें उन्नति की राह दिखाना सरकार का प्रयास रहा है। इसके लिये अनेक योजनाओं पर अमल किया जा चुका है। कुछ नई योजनाएँ भी बनाई गई हैं, जिनका लाभ सीधे अल्पसंख्यक वर्ग को मिलेगा।

मध्यप्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग की बेहतरी के लिये जो भी वादे किये, उन्हें पूरा किया गया, योजनाएँ बनाईं, तो उन पर अमल भी किया गया। यही कारण है कि मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों को लोगों का विश्वास एवं प्रशंसा प्राप्त हुई। केन्द्र सरकार ने भी न केवल मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण के कार्यों की प्रशंसा की बल्कि अन्य राज्यों को भी मध्यप्रदेश का अनुसरण करने को कहा। केन्द्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यकों के कल्याण के कार्यों की प्रशंसा करते हुए बधाई-पत्र लिखा है।

वक्फिया जायदाद के मामले मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अल्पसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं से संबंध रखते हैं। मध्यप्रदेश में इस संवेदनशील मुद्दे पर बड़ी गंभीरता से कार्य हो रहा है। वक्फ बोर्ड की 15 हजार सम्पत्तियों को कम्प्यूटराइज्ड करने वाला पहला राज्य मध्यप्रदेश है। वक्फ बोर्ड में मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह आदि के रूप में कुल 14 हजार 702 वक्फ जायदाद हैं, जिनका अनुमानित मूल्य लगभग 52 हजार करोड़ रुपये है। वक्फ सम्पत्तियों के अभिलेखों को सुरक्षित रखने तथा एकजाई करने और कार्यालयीन गतिविधियों को सम्पूर्ण वक्फों से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के वक्फ बोर्ड द्वारा समस्त 14 हजार 702 सम्पत्तियों का प्री-डिजिटाईजेशन एवं डिजिटाईजेशन का काम पूरा किया जा चुका है। प्रदेश में समस्त वक्फ सम्पत्तियों के रिकार्ड का रजिस्ट्रेशन भी पूरा हो गया है।

नई दिल्ली में 16 जून, 2011 को हुई प्रिंसिपल सेक्रेटरी एवं वक्फ के चेयर पर्सन्स की समीक्षा बैठक में राज्य के वक्फ बोर्ड के रिकार्ड कम्प्यूटराईजेशन कार्य की सराहना की गई है। NIC-PMU (वक्फ) नई दिल्ली द्वारा अपनी स्टेटस रिपोर्ट में मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड को रिकार्ड डिजिटाईजेशन में देश का सबसे अव्वल वक्फ बोर्ड करार दिया गया है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री श्री अजय विश्नोई की पहल पर वक्फ बोर्ड की गतिविधियों में तेजी आई है। परिणामस्वरूप वक्फ बोर्ड की आमदनी लगातार बढ़ रही है। पिछले माली साल में वक्फ सम्पत्ति से 11 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। कुल वक्फ सम्पत्तियों में से 7 हजार वक्फ सम्पत्तियों की व्यवस्था के लिये प्रबंध समितियों का गठन किया जा चुका है। वक्फ सम्पत्ति को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के लिये वक्फ अधिनियम की धारा 54 एवं 55 के तहत 3014 अतिक्रमण पंजीकृत हुए। इनमें से एक हजार से अधिक प्रकरण में सुनवाई के बाद 306 प्रकरण को धारा 55 के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिये संबंधित एसडीएम को निर्देश दिये गये हैं।

वक्त सम्पत्तियों का डेव्हलपमेंट किया जा रहा है। सेन्ट्रल वक्फ काउंसिल से ऋण प्राप्त कर 6 सम्पत्तियों को विकसित किया जा चुका है एवं 16 वक्फ सम्पत्तियों के संबंध में डेव्हलपमेंट का कार्य किया जा रहा है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर तथा जबलपुर आदि में उपलब्ध वक्फों का व्यावसायिक वक्फ सम्पत्ति के रूप में विकास किये जाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

राज्य में वक्फ सम्पत्तियों के सर्वेक्षण के लिये सर्वे वक्फ आयुक्त की नियुक्ति की गई है। सर्वे के लिये एक डिप्टी कलेक्टर को प्रत्येक जिले में वक्फ सम्पत्तियों की जाँच का प्रभारी बनाया गया है। अभी तक 14 जिलों में पुन: सर्वे कराकर सम्पत्तियों की जाँच की जा चुकी है। इसके अलावा वक्फ सम्पत्तियों संबंधी न्यायालयीन प्रकरणों को तत्परता से सुलझाने के लिये वक्फ न्यायाधिकरण गठित किया गया है। इसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के अधिकारी को रखा गया है।

देश में मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जहाँ वक्फ बोर्ड को प्रतिवर्ष 80 लाख रुपये का अनुदान प्रदेश सरकार देती है। वक्फ सम्पत्तियों की सुरक्षा एवं उनसे आय बढ़ाने के लिये तथा उसका जनहित में उपयोग करने के लिये राज्य सरकार कटिबद्ध है। वक्फ अधिनियम 2010, जो भारत सरकार द्वारा पारित होने के स्तर पर है, में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं। इसके पारित होने पर वक्फ सम्पत्ति के सुशासन को बल मिलेगा।

मध्यप्रदेश सरकार वक्फ के अलावा अल्पसंख्यक कल्याण के कई और कार्यक्रम भी कुशलता से संचालित कर रही है। केन्द्र सरकार भी समय-समय पर राज्य सरकार के प्रयासों की खुल कर तारीफ करती है। अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों के वितरण में मध्यप्रदेश आज देश में प्रथम स्थान पर है। प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक एवं मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति वितरण के लिये वर्ष 2010-11 में 81 हजार 75 विद्यार्थियों का लक्ष्य दिया गया था। लक्ष्य की तुलना में मध्यप्रदेश ने एक लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान किया। इसी प्रकार वर्ष 2011-12 में 91 हजार 147 हजार विद्यार्थियों का लक्ष्य दिया गया था। इसकी तुलना में मध्यप्रदेश में एक लाख 47 हजार 908 विद्यार्थियों को लाभ दिया। चालू माली साल में भारत सरकार द्वारा एक लाख 85 हजार 800 छात्रवृत्तियाँ वितरित करने का लक्ष्य दिया गया है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों के वितरण के संबंध में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों की प्रशंसा की है।

मध्यप्रदेश में मदरसों के इंतजामात की तारीफ स्वयं प्रधानमंत्री भी मुख्यमंत्रियों की बैठक में कर चुके हैं। हज यात्रियों के लिये राज्य में दो इम्बारकेशन पॉइंट बनाये गये हैं, एक भोपाल और एक इंदौर में। दोनों ही जगह हज-हाउस के निर्माण का काम हाथ में लिया गया है। भोपाल में बेहतर हज-हाउस के निर्माण के सुझावों के लिये एक लाख रुपये की इनामी प्रतियोगिता भी रखी गई है। हज-यात्रियों के लिये की गई व्यवस्थाओं की सराहना केन्द्रीय हज-कमेटी और सउदी अरब की सरकार ने भी की है।

राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक वर्ग के नौजवानों को प्रदेश भर में चुनिंदा निजी संस्थाओं के माध्यम से शासन के खर्च पर रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण देने के लिये अल्पसंख्यक रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण योजना शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक वर्ग के नौजवानों को पीईटी/पीएमटी, पीएससी, यूपीएससी, सूचना प्रौद्योगिकी एवं कौशल विकास का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद रोजगार के लिये उनका प्लेसमेंट करवाया जायेगा।

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अल्पसंख्यक वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये “मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना” प्रारंभ की गई है। योजना में किसी भी बेरोजगार व्यक्ति को 10 लाख तक की सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान है।

रहने-पढ़ने की नि:शुल्क व्यवस्था

अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को भोपाल में रहकर पढ़ने-लिखने और खाने-पीने की नि:शुल्क व्यवस्था प्रशिक्षण केन्द्र में की गई है। इसी प्रकार अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं के लिये 100 सीटर पोस्ट-मैट्रिक कन्या छात्रावास एवं तीन 50 सीटर पोस्ट-मैट्रिक कन्या छात्रावास बनाये जा रहे हैं।

प्रतिभाओं का सम्मान

अल्पसंख्यक वर्ग की हस्तियों के नाम पर इस वर्ग की प्रतिभाओं को सम्मानित करने का कदम मध्यप्रदेश सरकार ने उठाया है। संभवत: देश में यह पहला प्रयास है। 

  • शहीद अशफाक उल्ला खाँ पुरस्कार – समाज सेवा

  • शहीद कैप्टन हमीद पुरस्कार – सर्वधर्म समभाव

  • डॉ. अबुल कलाम आजाद पुरस्कार – उर्दू साहित्य

समाज सेवा, सर्वधर्म समभाव एवं उर्दू साहित्य के क्षेत्र में अल्पसंख्यक वर्ग की वर्तमान सेवारत प्रतिभाओं को ढूँढकर उन्हें मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित कराने तथा एक-एक लाख रुपये नगद पुरस्कार देने का काम राज्य सरकार कर रही है।

प्रदेश के निर्माण से लेकर अब तक अल्पसंख्यक कल्याण के लिये किसी भी सरकार के मुकाबले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने जिस तेजी से काम किया है, वह उनकी सकारात्मक सोच का परिणाम है।

अंजाम हमारा तय है, आगाज़ हमारा यूँ है।

‘ऐ देखने वाले साहिल से, मौजों से लिपट, तूफाँ से उलझ

नज़्ज़ार-ए-तूफाँ करने से अन्दाज़-ए-तूफाँ क्या होगा।’

 

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