भोपाल, जुलाई 2014/ उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार विशेष परिस्थिति में विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में स्थानांतरण एवं प्रतिनियुक्ति में भेज सकेगी। ऐसा तभी किया जायेगा जब रिक्तियों एवं अन्य कारणों से विश्वविद्यालय का कार्य सम्पन्न नहीं हो पा रहा हो। मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2014 में यह प्रस्ताव किया गया है। सदन में यह प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका है। यह अधिनियम मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 को संशोधित कर प्रस्तुत किया गया था।
विश्वविद्यालयों में राजनैतिक हस्तक्षेप समाप्त करने और शैक्षणिक गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2014 प्रस्तुत किया गया था। मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल या उस के समान किसी शासकीय अभिकरण के माध्यम से चयन द्वारा विश्वविद्यालय में रिक्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी संवर्ग में नियुक्ति करने के निर्देश राज्य शासन द्वारा दिये जा सकेंगे। अधिनियम में किये गये प्रावधान अनुसार विश्वविद्यालय में कार्य-परिषद् और चयन समिति का गठन किया जायेगा।
कार्य-परिषद् का अध्यक्ष कुलपति और सदस्य सचिव कुलसचिव होगा। परिषद् में कुलाधिपति द्वारा प्रत्येक दो वर्ष के लिये ज्येष्ठता के अनुसार बारी-बारी से नाम निर्देशित चार संकाय अध्यक्ष, विश्वविद्यालयीन अध्यापन विभाग या प्राध्ययन केन्द्रों के दो आचार्य जो कुलाधिपति द्वारा प्रत्येक दो वर्ष के लिये ज्येष्ठता के अनुसार बारी-बारी से नामनिर्देशित किये जायेंगे, संबद्ध महाविद्यालयों के चार प्राचार्य, जिनमें से कम से कम दो प्राचार्य शासकीय महाविद्यालयों में से होंगे, राज्य सरकार द्वारा इन्हें ज्येष्ठता के अनुसार बारी-बारी से नामनिर्देशित किया जायेगा, सचिव उच्च शिक्षा या उसका नामनिर्देशिती जो उप सचिव के निम्न पद का न हो, संबंधित संभागीय आयुक्त या उसका नामनिर्देशिती जो अपर कलेक्टर से निम्न पद का न हो, संबंधित पुलिस महानिरीक्षक या उसका नामनिर्देशिती जो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद से निम्न पद का न हो, कुलाधिपति द्वारा नामनिर्देशित चार शिक्षाविद् जो कम से कम स्नातक हो और किसी राजनैतिक दल के सदस्य न हो, जिनमें से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में से एक-एक व्यक्ति होगा तथा इन चार व्यक्ति में से कम से कम दो महिला होगी, विश्वविद्यालय का वित्त अधिकारी/ वित्त नियंत्रक सदस्य होंगे। कार्य-परिषद् के वे सदस्य जो पदेन सदस्यों से भिन्न हों, दो वर्ष के लिये नियुक्त होंगे। कोरम के लिये कुलपति एवं कुल सचिव के साथ 50 प्रतिशत सदस्य जरूरी हैं। स्थगित सम्मेलन के लिये कोरम की आवश्यकता नहीं होंगी।
चयन समिति के अध्यक्ष कुलपति और सचिव कुल सचिव होंगे। समिति में विद्या परिषद् द्वारा प्रस्तुत किये गये चार विषय विशेषज्ञ पेनल में से कुलाधिपति द्वारा नामनिर्देशित दो विशेषज्ञ जो किसी भी रूप में विश्वविद्यालय से संबद्ध न हो, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग से कुलाधिपति द्वारा नामनिर्देशित एक विषय-विशेषज्ञ जो किसी भी रूप में विश्वविद्यालय से संबद्ध न हो, इस वर्ग से कोई विशेषज्ञ उपलब्ध न होने पर आरक्षित वर्ग का कम से कम सचिव की श्रेणी का नामनिर्देशित प्रशासनिक अधिकारी, सदस्य होंगे।