भोपाल, अगस्त 2015/ ख्याति प्राप्त वन्य-जीव विशेषज्ञों ने मध्य प्रदेश में वन्य-जीव संरक्षण, विशेष रूप से बाघों, गिद्धों और बारहसिंगा के संरक्षण कार्य में मिली सफलता की मुक्त कंठ से सराहना की है। यहाँ मंत्रालय में मध्यप्रदेश राज्य वन्य-प्राणी संरक्षण बोर्ड की बैठक में भाग लेने आये वन्य-जीव विशेषज्ञों और बोर्ड के सदस्यों ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व और वन्य-जीव संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की भी सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनवासी परिवारों की आजीविका भी वन्य-जीव संरक्षण के साथ-साथ जरूरी है। बेहतर वन्य-जीव प्रबंधन से वन्य-जीवों के परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में उनके रहवास का दायरा बढ़ाने के लिए नियोजन की अग्रिम रणनीति बनाना होगा। वन्य-जीवों और उनके रहवास को बचाने के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है। वन्य-जीव संरक्षण विशेषज्ञों के विचारों और सुझावों को नीति निर्देशों में शामिल किया जायेगा।
बताया गया कि राज्य पशु बारहसिंगा की संख्या कुछ समय पहले तक 60 तक पहुँच गई थी। बेहतर प्रबंधन से अब इनकी संख्या 600 तक पहुँच गई है। इसी साल सात बारहसिंगा को कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर राष्ट्रीय वन विहार में बसाया गया। इसी प्रकार बाँधवगढ़ से भी नर और मादा बाघ को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया गया। बिना किसी नुकसान के चीतलों का पुनर्वास किया गया। पन्ना में बाघों की संख्या शून्य से 30 तक बढ़ जाने को विशेषज्ञों ने अभूतपूर्व उपलब्धि बताया। मुख्यमंत्री ने वन्य-जीव संरक्षण से जुड़े सभी अधिकारियों को बधाई दी।
बाघ संरक्षण विशेषज्ञ और बोर्ड की सदस्य सुश्री बिलिंडा राईट ने बताया कि कज़ाकिस्तान और कंबोडिया में भी पन्ना के बाघ संरक्षण की चर्चा है। पन्ना ने अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वन्य-जीव संरक्षण की पाठशाला का दर्जा हासिल कर लिया है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को 2015 का विजेता घोषित करते हुए अमेरिका की प्रतिष्ठित कंपनी ट्रिप ऐडवाईजर ने उत्कृष्टता का प्रमाण-पत्र दिया है। इसी प्रकार ट्रेवल ऑपरेटर्स फॉर टाइगर्स ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को उत्कृष्ट वन्य-जीव स्थल का दर्जा दिया है।
मुख्यमंत्री ने पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में गिद्ध संरक्षण और उनकी प्रजातियों के रंगीन चित्रों की किताब का विमोचन किया। इसके छाया चित्रकार भालू मोंढे और लेखक अभिलाष खांडेकर है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बाघों के चित्रों का भी विमोचन किया।