भोपाल, दिसम्बर 2014/ अंतर्राष्ट्रीय-स्तर का हर्बल मेला आयोजित कर वन विभाग कभी विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके भारत की हजारों वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति को पुन: देश-विदेश में लोकप्रिय बनाने में विशिष्ट योगदान दे रहा है। यह बात अध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधानसभा डॉ. सीताशरण शर्मा ने विन्ध्य हर्बल अंतर्राष्ट्रीय हर्बल मेला-2014 का शुभारंभ करते हुए कही।

कार्यक्रम के अध्यक्ष वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने लोगों से आव्हान किया कि मूक वन और वन्य-प्राणी की सुरक्षा बढ़ाने में जन-सहयोग की आवश्यकता है। पेड़ कटने या वन्य-प्राणी का शिकार होने पर तुरंत शिकायत दर्ज करवायें। सघन वन और वनावरण बढ़ेगा तभी जड़ी-बूटियाँ बढ़ेंगी और औषधि निर्माण में सहायक होंगी। डॉ. शेजवार ने कहा कि मध्यप्रदेश लघु वनोपज संघ शत-प्रतिशत लाभांश वन क्षेत्र के विकास में व्यय करता है।

विशिष्ट अतिथि नगरीय विकास एवं पर्यावरण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्राचीन भारत का विज्ञान अति-उन्नत था। देश की एक हजार साल की गुलामी ने हमारी अमूल्य ज्ञान सम्पदाओं को धूमिल कर दिया था, जो आज न केवल अपनी शानदार वापसी कर रही है, बल्कि दिनों-दिन दुनिया में लोकप्रियता हासिल कर रही है।

अध्यक्ष, राज्य लघु वनोपज संघ विश्वास सारंग ने कहा कि संघ ने गत वर्ष लघु वनोपज संग्राहकों को 270 करोड़ रुपये संग्रहण दर के रूप में और 240 करोड़ रुपये बोनस के रूप में वितरित किये हैं। श्री सारंग ने कहा कि लघु वनोपज संघ 35 लाख संग्राहक के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने के लिये सतत प्रयासरत हैं।

इस अवसर पर नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों से आये हुए निजी और शासकीय क्षेत्र के क्रेता-विक्रेता, औषधि निर्माता, बीज निगम, मत्स्य विकास निगम आदि भाग ले रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here