भोपाल, दिसंबर 2012/ वित्त मंत्री राघवजी ने दावा किया है कि प्रदेश की माली हालत में हो रहे सुधार के चलते मध्यप्रदेश सबसे अधिक कर्ज लेने वाले प्रदेशों में छठे स्थान से खिसककर नवीं पायदान पर आ गया है।

मंगलवार को 4910 करोड़ 3 लाख 30 हजार 752 रु. के दूसरे अनुपूरक बजट  पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष के आरोपों को आंकड़ों के जरिए झुठला दिया। राघवजी ने कहा कि कि मप्र पर अभी 84 हजार करोड़ रु. का कर्ज है, लेकिन मप्र से ऊपर आठ बड़े राज्य और हैं। इनमें महाराष्ट्र पर 2 लाख 48 हजार, उत्तरप्रदेश पर 2 लाख 44 हजार, पश्चिम बंगाल पर 2 लाख 11 हजार, आंध्रप्रदेश पर 1लाख 53 हजार, गुजरात पर 1 लाख 52 हजार, तमिलनाडू पर 1 लाख 32 हजार, कर्नाटक पर 1.12, राजस्थान पर 1 लाख करोड़ का कर्ज है। उन्होंने कहा कि  मप्र ब्याज के बतौर 5300 करोड़ रु. दे रहा है, जबकि महाराष्ट्र 17500, उत्तरप्रदेश 15000, पश्चिम बंगाल 14900 करोड़, आंध्रप्रदेश 10700, गुजरात 8800, तमिलनाडू 8000 करोड़ रु.ब्याज दे रहे हैं।

वित्त मंत्री ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में आई थी तो उसे विरासत में 5हजार 671 करोड़ रु.का कर्ज मिला था जो उनके कार्यकाल में सात गुना बढ़कर 34007 करोड़ रु. हो गया। वहीं जब भाजपा सत्ता में आई तो उसे विरासत में 34007 करोड़ रु. का कर्ज मिला था। जो दस साल में दोगुना ही हुआ है।

राज्य ने 9600 और केंद्र ने 40 हजार के कर्ज में डाला

कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने अनुपूरक बजट के विरोध करते हुए कहा था कि भाजपा की सरकार में प्रदेश में हर व्यक्ति 9600 स्र्पए के कर्ज में डूबा हुआ है। ऐसे कैसे स्वर्णिम मप्र बनेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पर 50 लाख 25 हजार 378 करोड़ का कर्ज है। इस हिसाब से देश का प्रति व्यक्ति 40 हजार के कर्ज में डूबा हुआ है।

वालमार्ट को किसने बुलाया

पन्ना में हीरे की खदान ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो कंपनी को देने के आरोप पर वित्त मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि हीरा कंपनी को प्रोस्पेक्टिंग लायसेंस देने का निर्णय केन्द्र सरकार देती है हम नहीं, उन्होंने कहा कि देश में दाल-चावल बेचने के लिए वालमार्ट को किसने बुलाया। क्या हमारे देश में खुदरा किराना काम करने की क्षमता नहीं है।

बजट लैप्स होने के लिए जिम्मेदार कौन?

इसके पहले बहस में शामिल होते हुए नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह ने वित्त मंत्री से पूछा था कि उन विभागों पर क्या कार्रवाई होती है, जो बजट का उपयोग नहीं कर पाते। सिंह ने बुंदेलखंड पैकेज सहित अन्य विभागों का हवाला देते हुए लैप्स हुए बजट के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा लगातार समीक्षा बैठक किए जाने के बावजूद 30 प्रतिशत बजट का उपयोग अफसरों की लापरवाही के कारण नहीं हो पाता है। वहीं उप नेताप्रतिपक्ष राकेश सिंह चतुर्वेदी ने कहा कि प्रदेश लगभग एक लाख करोड़ रु. कर्ज में डूबा है। जब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की कमान संभाली है तब से प्रदेश की 7 करोड़ जनता कर्ज के बोझ से दब गई है।

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