भोपाल। राज्य सरकार ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के माध्यम से नर्मदा जल का अधिकतम उपयोग करने की पहल की है। इसके अंतर्गत नर्मदा घाटी की सिंचाई परियोजना को गति प्रदान करने से पिछले माली साल तक विभिन्न परियोजनाओं से 6 लाख 37 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित की गई है। इसके साथ ही नर्मदा घाटी जल विद्युत परियोजनाओं से भी इसी अवधि तक 36 हजार 340 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादित की गई।
नर्मदा घाटी की परियोजनाओं से वर्ष 2003-04 से वर्ष 2011-12 तक 2 लाख 63 हजार 523 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित की गई। इससे पूर्व नर्मदा की पाँच वृहद परियोजनाओं से 3 लाख 73 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई निर्मित की गई थी। इसे सम्मिलित कर नर्मदा घाटी की परियोजनाओं से होने वाली सिंचाई का कुल क्षेत्र अब 6 लाख 37 हजार 23 हेक्टेयर हो गया है।
नर्मदा घाटी में स्थापित जल परियोजना इंदिरा सागर से 1000 मेगावाट, ओंकारेश्वर से 520 मेगावाट, सरदार सरोवर अंतर्राज्यीय परियोजना के 1400 मेगावाट का 57 प्रतिशत तथा बरगी नहर पावर हाउस से 10 मेगावाट, इंदिरा सागर नहर पावर हाउस से 15 मेगावाट जल उत्पादन की क्षमता निर्मित की गई है।
नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है। प्रदेश के अनूपपुर जिले की मैकल पर्वतमाला पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ अमरकंटक उद्गम स्थल से निकलकर नर्मदा गुजरात की खम्बात की खाड़ी से अरब सागर में समाहित होने तक कुल 1312 किलोमीटर प्रवाहित होती है। मध्यप्रदेश में नर्मदा 1077 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
नर्मदा एवं इसकी सहायक नदियों में बनाए गये जलाशयों से प्रदेश के जबलपुर, मण्डला, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, रायसेन, कटनी आदि जिले के किसानों में समृद्धि आयी है। सिंचाई परियोजनाओं से खेतों को पानी मिलने से खेती की पैदावार में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। इस बात की पुष्टि संबंधित जिलों में समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा की गई गेहूँ की खरीदी तथा कृषि मण्डियों में होने वाली विभिन्न उपज की आवक से होती है।
मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान राज्य के बीच नर्मदा कछार के जल बंटवारे के लिए भारत सरकार द्वारा गठित नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने वर्ष 1969 में दिए अपने फैसले में कुल प्रवाहित होने वाले 28 मिलियन एकड़ फीट जल में से मध्यप्रदेश को 18.25 मिलियन एकड़ फीट, गुजरात को 9.00 एम.ए.एफ., महाराष्ट्र को 0.25 एम.ए.एफ. एवं राजस्थान को 0.50 एम.ए.एफ. जल का बंटवारा किया था। इसका उपयोग संबंधित राज्यों को 45 वर्ष अर्थात् वर्ष 2024 तक करने की समय-सीमा न्यायाधिकरण ने निर्धारित की है।
राज्य शासन द्वारा नर्मदा के आवंटित जल का उपयोग करने के लिये राज्य सरकार ने वर्ष 1972 में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, नर्मदा घाटी विकास विभाग एवं नर्मदा नियंत्रण मण्डल का गठन कर प्रदेश में 29 बड़ी परियोजनाएँ, 135 मध्यम परियोजनाएँ एवं 3000 छोटी परियोजनाएँ नर्मदा एवं उसकी सहायक नदियों पर बनाने का मास्टर प्लॉन तैयार किया था। प्रस्तावित परियोजनाओं में से सात वृहद परियोजना- तवा, बारना, कोलार, सुक्ता, मटियारी, मान, शहीद चन्द्रशेखर आजाद (जोबट) परियोजना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। निर्माणाधीन वृहद परियोजना में रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना, बरगी व्यपवर्तन परियोजना (बरगी दाँयी तट नहर), इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, अपरवेदा, शहीद भीमा नायक सागर (लोअर गोई) एवं पुनासा उद्वहन परियोजना शामिल है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये ज्यादा से ज्यादा कृषि क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाने की पहल की है। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है कि नर्मदा जल के प्रदेश को आवंटित जल का उपयोग 2020 तक करने के लिए प्रस्तावित परियोजनाओं के कार्य में गति लायी जाये। इसकी पहल प्रारंभ हो गयी है। नर्मदा घाटी विकास विभाग अब अपनी मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं को स्वयं ही तैयार करवायेगा। इन परियोजनाओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से विभाग में एक कम्पनी गठित की गयी है। मुख्यमंत्री की पहल पर हाल ही में नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है।