भोपाल : 22 मई। मध्यप्रदेश में जल की उपलब्धता में निरंतर हो रही कमी को देखते हुये जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन की ओर खास ध्यान देने के उद्देश्य से इग्नू के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर द्वारा विकसित डिप्लोमा इन वॉटर शेड मैनेजमेंट “”जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन” पाठ्यक्रम शीघ्र आरंभ किया जा रहा है। विकास आयुक्त कार्यालय में प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती अरूणा शर्मा की मौजूदगी में आज एक कार्यक्रम में वाल्मी (जल एवं भूमि प्रबंध संस्थान) के संचालक श्री राजेश बहुगुणा और इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक श्री के.एस. तिवारी ने इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम के संचालन के लिये आपसी सहमति के मसौदे पर हस्ताक्षर किये।
दूरस्थ शिक्षा पद्धति पर आधारित इस पाठ्यक्रम के जरिये जल संरक्षण कार्यों के लिये वर्क फोर्स तैयार करने में मदद मिलेगी। जल ग्रहण क्षेत्रों के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह पाठ्यक्रम वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया है।
यह डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्य के विभिन्न शासकीय और अशासकीय संस्थान, स्वयंसेवी संगठन और जल संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं तथा उनके कार्यकर्ताओं को दक्ष और प्रशिक्षित करने में मददगार सिद्ध होगा। पाठ्यक्रम के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10अ2 निर्धारित है। इस एक वर्षीय पाठ्यक्रम का शुल्क 9000 रुपये रहेगा। पाठ्यक्रम को अधिकतम 4 वर्ष में पूरा किया जा सकेगा। पाठ्यक्रम के लिये समय-समय पर सघन संपर्क कक्षाओं का आयोजन किया जायेगा। इसके अलावा फील्ड वर्क तथा जल ग्रहण प्रबंधन से जुड़े प्रोजेक्ट भी इसमें शामिल रहेंगे। पाठ्यक्रम में जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन के आधारभूत सिद्धांत जल विज्ञान, जल एवं मृदा (भूमि) संरक्षण, वर्षा आधारित कृषि, पशुपालन एवं चारा प्रबंधन तथा उद्यानिकी एवं कृषि वानिकी जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल किये गये हैं।