भोपाल, अप्रैल 2015/ विवाह समारोहों में सेवा प्रदान करने वाले जैसे कि प्रिटिंग प्रेस, हलवाई, कैटरर्स, धर्मगुरू, समाज के प्रमुख, बैंड वाले, ट्रांसपोर्टर्स, मैरिज गार्डन संचालक आदि बाल विवाह की रोकथाम हेतु शासन को सहयोग दें। वे सुनिश्चित करें कि अपनी सेवाएं तब ही देंगे जब वर की आयु 21 वर्ष एवं वधु की आयु 18 वर्ष से अधिक हो।
इस संबंध में राज्य के महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा सभी जिलों के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। सेवा प्रदाताओं द्वारा यदि नाबालिग के विवाह के लिए सेवा दी जा रही हो, तो सेवा प्रदाताओं के विरूद्ध भी बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई हो सकती है। अधिनियम के अनुसार बाल विवाह करने या करवाने वालों को 2 वर्ष का सश्रम कारावास या एक लाख रूपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
इसी तरह अनुविभागीय अधिकारियों राजस्व से भी महिला सशक्तिकरण विभाग ने अनुरोध किया है कि वे बाल विवाह के रोकथाम के लिए सामूहिक विवाह की स्वीकृत तब ही जारी करें जब संचालकों द्वारा बाल विवाह नहीं करने संबंधी शपथ पत्र दिया जाए।