भोपाल, मार्च 2013/ प्रदेश में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाओं में सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी है। शासन द्वारा चिकित्सकों एवं चिकित्सालयों के मासिक कार्य लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। अस्पतालों में हो रहे कार्य का नियमित आकलन किया जाएगा। इस संबंध में हाल ही में शासन द्वारा आदेश जारी किए गए हैं। चिकित्सालय में पदस्थ वरिष्ठ चिकित्सक को आर.एम.ओ. का दायित्व दिया जा रहा है। रोगियों को निःशुल्क दवा, चिकित्सकीय जाँच और भोजन उपलब्ध करवाने का उत्तरदायित्व सिविल सर्जन, आरएमओ और अन्य चिकित्सालयों के लिए बीएमओ और चिकित्सालय प्रभारी का रहेगा।
अस्पतालों में सफाई व्यवस्था ठीक रखने के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है। आरएमओ चिकित्सालय खुलने के आधे घंटे पहले चिकित्सालय में आकर संपूर्ण चिकित्सालयीन व्यवस्थाओं और सेवाओं को रोगियों के लिए क्रियाशील बनवाने और अस्पताल की सामान्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करते हुए सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक के निर्देशों का पालन करेंगे। सिविल सर्जन प्रातः 9 से अपरान्ह 4 बजे तक चिकित्सालय एवं कार्यालय में उपलब्ध रहेंगे। वे सप्ताह में कम से कम दो बार अस्पताल का राउंड लेकर सभी व्यवस्थाएँ देखेंगे।
राज्य शासन ने उपकरणों और प्रयोगशालाओं के साथ ही आपरेशन थियेटर के उचित रख-रखाव के लिए भी विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश में जिला चिकित्सालयों, पॉली क्लीनिक, शहरी डिस्पेंसरी, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन ओपीडी में रोगी को परामर्श देने के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ओपीडी में प्रतिदिन चिकित्सकों द्वारा 10 से 50 रोगियों और प्रतिमाह 250 से 1250 रोगी को देखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए यह संख्या प्रतिदिन 50 से 150 न्यूनतम और 1250 से 3750 प्रतिमाह रहेगी। सिविल अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन न्यूनतम 50 से 150 रोगियों को ओपीडी सेवाएँ देनी होगी। मासिक लक्ष्य 1250 से 3750 रहेगा। शहरी डिस्पेंसरी के लिए भी यही लक्ष्य है। जिला अस्पताल के लिए प्रतिदिन न्यूनतम 200 से 1000 रोगी को एवं प्रतिमाह 5000 से 25000 रोगी को परामर्श एवं सेवाएँ देनी होंगी।
इनडोर सेवाओं के लिए भी लक्ष्य तय कर कुल ओपीडी के 10 से 15 प्रतिशत रोगी को इलाज उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। भर्ती मरीजों को उपचार देने का कार्य फिजीशियन, सर्जन अन्य चिकित्सक/विशेषज्ञ अपने-अपने विषय के अनुरूप अनुपात में करेंगे। पैथालॉजी जाँच के कार्य में ओपीडी के 15 से 20 प्रतिशत रोगी के लिए कार्य करना होगा। ऑपरेशन दिवस में प्रति चिकित्सक दो मेजर एवं दो माइनर ऑपरेशन आवश्यकतानुसार प्रतिदिन करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रतिमाह ऑपरेशन की संख्या 16 मेजर एवं 16 माइनर निर्धारित की गई है। राज्य शासन द्वारा रोगियों की सोनोग्राफी, सी.टी. स्केन, एमआरआई, डेंटल एक्स-रे, एक्स-रे, ईसीजी, रिफ्रेक्शन (चश्मे की जाँच) और हिमोडायलेसिस (जहाँ उपलब्ध है) के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। न्यूनतम कार्य के इस निर्धारण से रोगियों को अधिक सुविधाएँ प्राप्त होंगी। चिकित्सालयों के चिकित्सकों के साथ ही पेरा मेडिकल स्टाफ के लिए भी प्रतिदिन ओपीडी में 25 नए एवं 30 पुराने केस देखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।