भोपाल, नवम्बर 2014/ मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006 के अन्तर्गत वन भूमि पर 13 दिसम्बर, 2005 से पूर्व खेती कर रहे वन निवासी आदिवासी एवं अन्य परम्परागत वर्ग के कृषकों को उनकी कब्जे की 4 हेक्टेयर तक वन भूमि के हक का प्रमाण-पत्र एवं अन्य सामुदायिक वन अधिकारों को मान्यता देने के पूर्व निरस्त दावों की पुनर्समीक्षा का अभियान संचालित किया जा रहा है। अभियान में अप्रैल से अक्टूबर 2014 की अवधि में 73 हजार 246 नवीन दावे प्राप्त हुए। कुल 26 हजार 716 दावों का निराकरण कर 14 हजार 080 दावे मान्य किये गये।

अभियान में वन सीमा से 5 किलोमीटर दूरी के प्रत्येक ग्रामों के लिए वन, राजस्व एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी/कर्मचारी के दल गठित कर भेजे गये। दल द्वारा ग्राम सभा की बैठक कर ग्रामवासियों को वन अधिकार अधिनियम के प्रावधान की प्रक्रिया की जानकारी दी गई। शेष रहे व्यक्तियों के दावे प्राप्त किये गये। दल द्वारा संबंधित ग्राम से दावा शेष नहीं होने के प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत किये गये।

विगत दो वर्ष से वन भूमि पर खेती करने एवं आवास के व्यक्तिगत वन अधिकार के दावों के अतिरिक्त वनों के सार्वजनिक उपयोग के सामुदायिक दावे प्राप्त करने के प्रयास भी किये गये। कुल 40 हजार 175 सामुदायिक दावे प्राप्त हुए। इनमें से 21 हजार 855 सामुदायिक दावे मान्य किये गये जो देश के अन्य राज्य की तुलना में सर्वाधिक है।

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