भोपाल, फरवरी 2015/ वन और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण करते हुए फसलों को क्षति से बचाने की चुनौती से निपटने के लिये आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ हुई। वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के मुख्य आतिथ्य और राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री रामपाल सिंह की अध्यक्षता में होने वाली कार्यशाला में तमिलनाडु, उड़ीसा, महाराष्ट्र के विषय-विशेषज्ञों के अलावा प्रदेश के प्रत्येक जिले से वन अधिकारी-कर्मचारी और किसान भाग ले रहे हैं। मानव, वन्य-प्राणी द्वन्द पर केन्द्रित इस कार्यशाला को वन विभाग द्वारा वन मंत्री डॉ. शेजवार की पहल पर किया जा रहा है।

वन मंत्री ने कहा कि वन विभाग वनों को जानवरों के खाने-पीने, शेल्टर के लिहाज से इतना सम्पन्न बनाये कि उन्हें जंगल से बाहर आने की आवश्यकता ही न पड़े। चने की बोई फसलों का सुअर के झुण्ड द्वारा, गेहूँ की खड़ी फसलों को नीलगाय-हिरण द्वारा उजाड़ना आम बात है। दीवाल बनाना, फेंसिंग लगाना, फसल चक्र बदलाव, सोलर पॉवर फेंसिंग आदि कई उपाय किये गये परन्तु कोई संतोषजनक हल नहीं मिला। पशुओं को रोकने बिजली का करंट हरगिज न लगायें। डॉ. शेजवार ने कहा वन्य-प्राणी धरती का आभूषण हैं, जिनको देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। परन्तु फसल नुकसानी पर किसान इन्हीं के प्रति घृणा से भर उठता है।

वन मंत्री ने कहा कि शासन किसानों की फसलों को वन्य-प्राणियों से बचाने के लिये गंभीर है। जब तक संतोषजनक समाधान नहीं निकल आता ये सिलसिला जारी रहेगा। कार्यशाला में मंथन से निकले सुझावों के लिये विशेषज्ञों की समिति बनेगी। अन्य संबंधित विभाग के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जायेगा। इस मंथन के बाद होने वाली कार्यशाला में राष्ट्रीय के साथ अन्तर्राष्ट्रीय-स्तर के विशेषज्ञों को भी बुलाया जायेगा।

राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि शासन खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये कृत-संकल्पित है। किसानों को इस समस्या से मुक्त करवाने के लिये यदि आरबीसी कानूनों में कुछ संशोधन करना पड़े तो वह भी किया जायेगा।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) नरेन्द्र कुमार ने कहा कि प्रदेश की फसलों को मुख्यत: नीलगाय, जंगली सुअर और काले हिरन से नुकसान पहुँचता है। वर्ष 2008-09 में किसानों को नीलगाय मारने के अधिकार भी दिये गये पर नीलगाय को किसी किसान ने नहीं मारा। बहुत सारे उपाय किये गये पर खास सफलता नहीं मिली। प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम श्री आर.एन. सक्सेना ने वन्य-प्राणियों को खेतों से दूर रखने के प्राकृतिक उपायों की जानकारी दी। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) श्री शाहबाज अहमद ने आभार प्रकट किया।

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