भोपाल, जनवरी 2015/ राज्य शासन ने सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों के विभागीय जाँच प्रकरणों का समय-सीमा में निराकरण करने के निर्देश दिये हैं। इस संबंध में सभी विभाग, राजस्व मण्डल के अध्यक्ष, संभागायुक्त, विभागाध्यक्ष, कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अवगत करवा दिया गया है। निर्देश में कहा गया है कि समय-समय पर समीक्षा कर प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर समयबद्ध कार्यक्रम के जरिये निश्चित समयावधि अधिकतम एक साल के अंदर निराकृत किया जाये।
जाँच प्रकरण में त्वरित कार्यवाही न होने से शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अपने स्वत्वों को प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इससे न्यायालय प्रकरण भी बनते हैं और शासन को अनावश्यक परेशानी होती है। सामान्य प्रशासन विभाग के 1991 के ज्ञाप द्वारा निर्देशित है कि सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों के पेंशन प्रकरण में सेवानिवृत्ति की तिथि के 2 वर्ष पूर्व से कागजात तैयार करने की कार्यवाही शुरू कर दी जाये। यदि किसी शासकीय सेवक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रचलित हो, तो उन्हें एक समयबद्ध कार्यक्रम के अधीन निराकृत किया जाये, जिससे निर्णय के बाद ‘न जाँच प्रमाण-पत्र” जारी करने में कठिनाई नहीं हो। विभाग के पेनल में से योग्य सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों को मानदेय के आधार पर जाँच अधिकारी नियुक्त कर प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करवाने के निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किये गये हैं।
शासन के ध्यान में यह तथ्य आया है कि निर्धारित समय-सारणी के अनुसार विभागीय जाँच प्रकरणों में कार्यवाही नहीं की जा रही है, जिससे अनेक प्रकरण अनावश्यक रूप से लम्बित हैं। इस कारण सामान्य प्रशासन विभाग ने स्मरण-पत्र जारी किया है।