भोपाल, अक्टूबर 2014/ मध्यप्रदेश देश में सबसे पहले रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति बनाने वाला पहला राज्य बन गया है। उल्लेखनीय है कि भारत शासन द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त रूप से रक्षा उत्पाद इकाइयाँ स्थापित करने की गाईड-लाइन तैयार की गई है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में निवेश की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए राज्य शासन द्वारा निवेश प्रोत्साहन के लिये 500 करोड़ या इससे अधिक निवेश करने वाली रक्षा उत्पाद निर्माण ईकाइयों को सुविधाएँ प्रदान करने के लिये रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति तैयार की है।

प्रदेश की रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति में रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों को प्राथमिकता के आधार पर भूमि का आवंटन होगा। कलेक्टर द्वारा 50 एकड़ तक अविकसित शासकीय भूमि, गाइड-लाइन में असिंचित कृषि भूमि की दर से 25 प्रतिशत के मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाएगी। विकसित क्षेत्र में प्रचलित प्रब्याजी पर 75 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। इसके अतिरिक्त रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों की वेंडर यूनिट को सब-लीज पर भूमि उपलब्ध करवाई जायेगी। वेंडर यूनिट, जिनका 75 प्रतिशत उत्पाद मदर यूनिट द्वारा क्रय किया जाता है, ऐसे यूनिट को मदर यूनिट जैसी वित्तीय सुविधा का प्रावधान होगा। बंद, बीमार एवं अधिग्रहीत औद्योगिक ईकाइयों को खरीद कर रक्षा उत्पाद निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने पर लीज हस्तांतरण पर लगने वाली स्टॉप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जायेगी।

रक्षा संयंत्र उत्पाद निवेश नीति में रक्षा उत्पाद निर्माता ईकाइयों को अविकसित भूमि पर बिजली, पानी और सड़क अधोसंरचना के निर्माण पर व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। रुपये 500 करोड़ के स्थाई पूँजी निवेश वाली रक्षा उत्पाद परियोजनाओं की प्रवेश-कर, निवेश संवर्धन सहायता योजना और विद्युत शुल्क में निर्धारित अवधि से दो वर्ष की छूट की सुविधा होगी। मशीनों तथा अन्य सामान के इम्पोर्ट करने पर बंदरगाह से उद्योग-स्थल तक परिवहन पर व्यय का 50 प्रतिशत या अधिकतम 2 करोड़ रुपये तक अनुदान दिया जायेगा।

नीति के जरिये 1000 करोड़ या उससे अधिक की परियोजनाओं को 100 एकड़ तक भूमि रियायती दर पर उपलब्ध करवाई जायेगी। सड़क तथा विद्युत अधोसंरचना शासन द्वारा निर्मित कर उपलब्ध करवाई जायेगी। इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय की ईकाइयों के साथ संयुक्त क्षेत्र में स्थापित की जाने वाली ईकाइयों की रजिस्ट्री आदि पर स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जायेगी।

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