ग्‍वालियर, दिसंबर 2012/ चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद का जीवन-दर्शन और चिंतन हम सबको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उनके चिंतन से आज की युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाने की जरुरत है, ताकि भारत फिर से विश्व गुरु बन सके। श्री मिश्रा ग्वालियर में ‘‘स्वामी विवेकानंद के विचार दर्शन का भारतीय साहित्य पर प्रभाव’’ विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद के समापन-सत्र को संबोधित कर रहे थे। परिसंवाद मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर द्वारा अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सहयोग से यहाँ जीवाजी विश्वविद्यालय स्थित गालव सभागार में किया गया।

मंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का भी कहना था कि तकनीक, अर्थ और धर्म के बेहतर समन्वय से विश्व का कल्याण संभव हैं। युवा पीढ़ी को देशभक्ति और संस्कारिक बनाने के लिये शिक्षाविदों द्वारा चिंतन कर जो भी निष्कर्ष निकाले जायेंगे, उन्हें मूर्तरूप देने का प्रयास किया जाएगा। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. यतीन्द्र तिवारी ने 25 से अधिक शोध निबंधों के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति मोहनलाल छीपा ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मध्य भारत हिन्दी साहित्य सभा से जुड़े श्रीयुत श्रीधर पराड़कर व डॉ. बसंत पुरोहित सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी मौजूद थे।

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