मुस्लिम बालिकाओं के लिये पहला स्कूल भोपाल में सुल्तानिया स्कूल के नाम से खुला था। यह बात अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षा अधिकार पर परामर्श कार्यशाला में बतायी गयी। कार्यशाला का शुभारंभ उच्च एवं स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी ने किया। कार्यशाला मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा करवायी गयी।
श्री जोशी ने बताया कि प्रदेश में सभी समुदाय के बच्चों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाये गये हैं। उन्होंने बताया कि 2880 मदरसे बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें लगभग 2 लाख 80 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ ही राज्य शासन द्वारा स्वीकृत पाठ्यक्रम अनुसार शिक्षा दी जाती है। आठवीं तक संचालित मदरसों को कम्प्यूटर लेब के लिये एक लाख रुपये दिये जाते हैं। मान्यता प्राप्त मदरसों को मध्यान्ह भोजन का वितरण होता है। बच्चों को ड्रेस भी दिये जाते हैं।
कार्यशाला को सांसद श्री आलोक संजर ने भी संबांधित किया। आयोग के सदस्य श्री प्रियम कानूनगो ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में तालीम से समझौता नहीं करना चाहिये। उन्होंने बताया कि राजा राममोहन राय ने भी मदरसे में शिक्षा प्राप्त की थी। श्री कानूनगो ने कहा कि मध्यप्रदेश ने बच्चों का समग्र कार्ड बनाकर सराहनीय कार्य किया है।
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. सैयद इमामउद्दीन ने कहा कि मदरसे के पंजीयन के लिये ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बोर्ड द्वारा इग्नू के सहयोग से मदरसों में कौशल विकास के कार्यक्रम चलाये जायेंगे। बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री हलीम खान ने भी संबोधित किया।