भोपाल, नवम्बर 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर प्रदेश में सूखे की भयावह स्थिति से अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने सूखे के कारण किसानों और खाद्यान्नों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया और फसलों की क्षति के आकलन के लिए शीघ्र ही केन्द्रीय अध्ययन दल भेजने का अनुरोध किया। इस संबंध में एक विस्तृत ज्ञापन भी वित्त मंत्री को सौंपा।
इस मुलाकात से पहले भी अवर्षा से प्रदेश में उत्पन्न सूखे की भयावह स्थिति से प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को अवगत कराया जा चुका है और मुख्यमंत्री ज्ञापन भी दे चुके हैं।
श्री चौहान ने बताया कि किसानों को ऋण उपलब्ध करवाने में नाबार्ड द्वारा अभी हाल ही में हिस्से की राशि 50 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दी गयी है। प्रदेश में सूखे की भयावह स्थिति को देखते हुए नाबार्ड के हिस्सेदारी की सीमा को बढ़ाया जाने की माँग की ताकि किसानों को उचित सहायता राशि समय पर उपलब्ध करवायी जा सके।
श्री चौहान ने वित्त मंत्री श्री जेटली से बासमती चावल के मुद्दे पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि भौगोलिक संकेतों एवं ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार न्यायालय ने मध्यप्रदेश को बासमती चावल पैदा करने वाला क्षेत्र करार दिया है। एपीडा संस्था इसको नहीं मान्यता दे रहा है और साथ ही इस निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। उन्होंने आग्रह किया कि वे इस मामले में दखल देकर मध्यप्रदेश में उन क्षेत्रों में पैदा होने वाले चावल जो भौगोलिक दृष्टि से बासमती चावल की श्रेणी में आते हैं को बासमती चावल घोषित करवाने में सहयोग करें तथा एपीडा संस्था को सही स्थिति से अवगत करवायें।
केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा उठाये गये मुद्दों को सुना। उन्होंने शीघ्र ही फसलों की क्षति के लिए एक केन्द्रीय दल भेजे जाने का आश्वासन दिया। श्री जेटली ने साथ ही नाबार्ड और बासमती चावल के मुद्दों पर उचित निर्णय लेने की बात कही।