भोपाल, दिसम्बर 2014/ माण्डू उत्सव की तीसरी शाम आदिवासी लोक नृत्य दल ने दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया। उत्सव भगोरिया लोक-नृत्य और गायन के नाम रहा। उत्सव में गायिका सुश्री कविता पौड़वाल और सुश्री आकृति मेहरा के भजनों और सदाबहार गीतों ने माण्डू के कला एवं संगीत के प्राचीन वैभवशाली इतिहास को फिर जीवंत कर दिया। उत्सव ने वादियों में भक्ति का रस घोल दिया।
इसके पूर्व रंग-बिरंगे कपड़े, हाथों में छाता, पैरों में धुंधरू, इस पर मांदल थाप और बाँसुरी की तान पर माण्डू के आदिवासी दल ने भगोरिया नृत्य के माध्यम से खूब रंग बिखेरा। जब भगोरिया नृत्य चल रहा था, मंच के आसपास पर्यटक नृत्य करने से अपने आपको रोक नहीं पाये।
इसके अलावा माण्डू उत्सव में चल रहे एडवेंचर स्पोर्ट्स में भी पर्यटकों ने भारी उत्साह दिखाया। सभी स्थान पर भारी भीड़ रही और पर्यटक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। सबसे ज्यादा भीड़ सागर तालाब में चल रहे वॉटर स्पोर्ट्स में थी। यहाँ बनाना राइड, मोटर-बोटिंग, वॉटर-सर्फिंग, वॉटर-रोलर आदि में शामिल होकर पर्यटक बेहद खुश थे। इसी के साथ मीरा की जीरात पर पेरा-मोटरिंग, हॉट एयरबेलून में भाग लेने वाले पर्यटकों की भीड़ भी रही।