सियाचिन में पिछले दिनों आए एवलांच के बाद यह मान लिया गया कि हादसे में सभी 10 जवानों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद से शवों को बर्फ से ढूंढने के प्रयास शुरू कर दिए गए थे. लेकिन शवों को ढूंढने के दौरान चमत्कारी रूप से छह दिनों बाद एक जवान करीब 30 फीट गहरी बर्फ में जिंदा मिला.
मद्रास रेजीमेंट के हनुमंतथप्पा को जिंदा निकाला गया. बर्फ के नीचे से निकाल कर जवान को तुरंत वायु सेना के एक विमान द्वारा दिल्ली ले जाया गया. हांलाकि, हनुमंतथप्पा की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. डॉक्टरों के मुताबिक आने वाले 48 घंटे काफी अहम हैं.
अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, लांस नायक की बेहोशी की हालत के मद्देनजर उनकी श्वांस नली और फेफड़े की रक्षा के लिए उन्हें कृत्रिम जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है. उनकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई है और शरीर को फिर से गर्म करने और शरीर के ठंडे पड़ चुके हिस्सों में रक्त का प्रवाह स्थापित करने की वजह से पैदा हुई जटिलताओं के कारण अगले 24 से 48 घंटे काफी कठिन रहने का अनुमान है.’’
वहीं दूसरी ओर हनुमंतथप्पा के जिंदा होने की खबर पाकर लांस नायक का परिवार बेहद खुश है. हनुमंतथप्पा की पत्नी ने कहा कि पति के जीवित होने की खबर उनके लिए पुनर्जनम की तरह है.