भोपाल, अगस्त 2013/ प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग ने एक राज्य स्तरीय एक्शन प्लान की अनुशंसा की है। एक्शन प्लान के सक्षम क्रियान्वयन से प्रदेश की महिलाओं को हिंसा एंव हिंसा के भय से मुक्त सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवाना संभव होगा। अध्यक्ष, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग, श्रीमती उपमा राय ने यह जानकारी यहाँ आयोग की नीतिगत बैठक में दी। बैठक में अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करते हुए राज्य शासन को अनुशंसाएँ भेजने का निर्णय लिया गया। आयोग की सदस्य श्रीमती वंदना मण्डावी, सुश्री कविता पाटीदार, श्रीमती शशि सिन्हा, सुश्री ज्योति येवतीकर और सदस्य सचिव श्री रमा चौहान सहित विभिन्न विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
सुरक्षा एक्शन प्लान में महिलाओं के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी करने वाले उच्च पदस्थ व्यक्तियों के विरुद्ध आचरण संहिता बनाने, साइबर नेटवर्क पर महिलाओं के विरुद्ध साइबर कानूनों का कठोर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने, भावी सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने, स्कूली पाठ्यक्रम में लिंग संवेदनशीलता शामिल करने, हिंसा का रूप ग्रहण करने के पहले ही रोकथाम, सामुदायिक पुलिसिंग में महिला सुरक्षा दल का गठन , घरेलू हिंसा और यौन अत्याचार के मामलों में जाँच और अभियोजन प्रमाणित करने के लिए अधिकतम समय-सीमा निर्धारित करने पीड़ित महिला को प्रभावी सुरक्षा और विधिक सहायता और महिला न्यायिक साक्षरता मिशन कोड कार्यक्रम और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने में बहुसंस्था भागीदारी आदि शामिल हैं।
आयोग की अन्य अनुशंसाओं में महिलाओं की हिंसा के प्रति ‘0” टॉलरेन्स अपनाने, क्षेत्र की 10 प्रतिशत महिलाओं द्वारा शिकायत करने पर शराब की दुकान का लायसेंस निरस्त करने, चिकित्सालय, विद्यालय, छात्रावास, धार्मिक स्थल से शराब की दुकानें कम से कम 300 मीटर की दूरी पर होने, आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं को मजदूरी पर ले जाने वाले ठेकेदारों का नाम, पता, मोबाइल नम्बर स्थानीय पुलिस और ग्राम पंचायत में दर्ज करने, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कम से कम 2 पद प्रसूति विशेषज्ञ एवं एक पद शिशु रोग विशेषज्ञ का करने, यदि पहली पत्नी के रहते लड़का दूसरी शादी करता है और पत्नी दूसरी शादी रुकवाने के लिए थाने में आवेदन देती है परन्तु थाना प्रभारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो थाना प्रभारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने, बाल-विवाह रोकने के लिए निमंत्रण पत्र में ही वर-वधु की जन्म-तिथि अंकित करने आदि शामिल हैं।
आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का बढ़े मानदेय
आयोग ने आँगनवाड़ी कार्यर्ताओं को शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने, उचित वेतनमान निर्धारित करने और सेवानिवृत्ति पर पेंशन देने की भी अनुशंसा की है। इसके अलावा आरक्षित वर्ग की बेटी के अन्य राज्य के आरक्षित वर्ग के परिवार में विवाह के बाद उस राज्य द्वारा पति की जाति के आधार पर स्थाई निवासी का प्रमाण-पत्र बनाने की भी अनुशंसा की है।