भोपाल/ मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (लोकपाल की नियुक्ति, शक्तियों एवं कर्त्तव्य) मध्यप्रदेश नियम-2013 ने अब कानून का रूप ले लिया है। इस कानून के विभिन्न अध्यायों में योजना के लोकपाल के अधिकारिता, पदावधि, स्वायत्तता, पारिश्रमिक, कार्यालय, तकनीकी तथा प्रशासनिक सहायताओं और उनकी शक्तियों तथा कर्त्तव्यों का उल्लेख है। इसके साथ ही लोकपाल के समक्ष शिकायतें प्रस्तुत करने और उनके निपटारे की प्रक्रिया तथा अधिनिर्णय का प्रकाशन भी किया गया है। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की धारा 32 की उप धारा (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए तथा भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा उक्त अधिनियम की धारा 27 की उप धारा (1) के अधीन दिनांक 7 सितम्बर, 2009 को जारी आदेश के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार ने यह नियम बनाये थे। पूर्व में मध्यप्रदेश साधारण राजपत्र भाग-4 ग में दिनांक 17 मई, 2013 को इन नियमों का प्रकाशन किया जा चुका है।

सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि मध्यप्रदेश राजपत्र में 28 जून, 2013 को प्रकाशन के साथ ही इस कानून के लागू हो जाने से अब मध्यप्रदेश लोकायुक्त एवं लोकायुक्त अधिनियम-1991 (क्रमांक-37 सन 1981) की धारा 13 के अधीन राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित संभागीय सतर्कता समिति के सदस्य इस योजना के लोकपाल के रूप में कार्य करेंगे। राज्य सरकार अपने अधिकारिता के एक या एक से अधिक जिलों के लिये संभागीय सतर्कता समिति के एक सदस्य को योजना के पदेन लोकपाल के रूप में नियुक्त करेगी। योजना का लोकपाल राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार से स्वतंत्र होगा। कार्यालय संभागीय मुख्यालय पर संभागीय सतर्कता समिति के कार्यालय में होगा।

योजना के लोकपाल इस कानून के नियम-7 में दर्शाए किसी एक या अधिक विषयों पर स्कीम वर्कर और अन्य व्यक्तियों से शिकायतें प्राप्त कर सकेंगे, शिकायतों पर विचार करेंगे और इन नियमों के अनुसार उनका निपटारा करेंगे। वे राज्य के किसी भी भाग से किसी भी व्यक्ति को समन द्वारा उसे उपस्थित होने के लिये आदेश देंगे तथा शपथ पर उसका परीक्षण करेंगे। वे किसी भी दस्तावेज को प्रकट करने एवं प्रस्तुत करने की अपेक्षा करेंगे। किसी भी कार्यालय से कोई लोक अभिलेख अथवा उसकी प्रतिलिपि प्राप्त करेंगे और साक्षियों और दस्तावेजों के परीक्षण के लिये कमीशन जारी करेंगे। लोकपाल स्थल की जाँच-पड़ताल करने के निर्देश जारी कर सकेंगे। वे अपने क्षेत्राधिकार के भीतर उत्पन्न होने वाली किन्हीं ऐसी परिस्थितियों की दशा में, जिनसे कोई शिकायत हो सकती हो, स्व-प्रेरणा से कार्यवाहियाँ प्रारंभ कर सकेंगे, शिकायतों के निराकरण को सुगम बनाने के लिये विशेषज्ञ नियुक्त कर सकेंगे। लोकपाल किसी शिकायत की जाँच-पड़ताल कर सकेंगे और अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट राज्य सरकार को देंगे। यदि वे समुचित समझें तो अनुशासनात्मक और दण्डात्मक कार्यवाही की सिफारिश भी कर सकेंगे।

लोकपाल के समक्ष योजना के क्रियान्वयन में कमी अधिकथित करने वाली किसी एक या अधिक विषयों से संबंधित शिकायतें प्रस्तुत की जा सकेंगी। इन विषयों में ग्रामसभा, परिवारों का पंजीकरण और जॉब कार्ड जारी किया जाना, जॉब कार्डों की अभिरक्षा, कार्य की माँग, कार्य के लिये प्रस्तुत किये गये आवेदन की तारीख सहित अभिस्वीकृति जारी किया जाना शामिल है। इसी तरह मजदूरी का भुगतान, बेरोजगारी भत्ते का भुगतान, लिंग भेद के आधार पर पक्षपात, कार्य की नाप-तौल, कार्य की गुणवत्ता, मशीनों का उपयोग, ठेकेदारों की नियुक्ति, बैंक या पोस्ट-ऑफिस में खातों का संचालन, शिकायतों का रजिस्ट्रीकरण और उनका निपटारा, मस्टर रोल का सत्यापन, दस्तावेजों का निरीक्षण, निधियों का उपयोग, निधियों का जारी किया जाना तथा सोशल ऑडिट और अभिलेखों के संधारण के बारे में शिकायतें की जा सकेंगी।

कोई भी व्यक्ति स्वयं या अपने प्राधिकृत सक्षम प्रतिनिधि के माध्यम से स्कीम वर्कर के विरुद्ध लोकपाल को लिखित में या मौखिक रूप में शिकायत कर सकेगा। लोकपाल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में की गईं शिकायतें भी स्वीकार की जायेगी। लोकपाल को किसी ऐसे विषय पर शिकायत नहीं की जायेगी जो किसी अधिकरण या न्यायालय के समक्ष किसी अपील, पुनरीक्षण, संदर्भ अथवा रिट की कार्यवाही से संबंधित हो। शिकायत प्राप्त होने पर लोकपाल उसे समुचित स्कीम प्राधिकारियों के पास 7 दिन के भीतर निपटारा करने के लिये निर्दिष्ट कर सकेंगे। स्कीम प्राधिकारी द्वारा समय-सीमा के भीतर शिकायत का निपटारा करने में असफल रहने पर ऐसा मामला लोकपाल द्वारा निपटारे के लिये अपने हाथ में लिया जायेगा। यदि कोई शिकायत मिथ्या, विद्वेषपूर्ण अथवा तंग करने वाली पाई जाती है तो लोकपाल लिखित में अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से शिकायत को खारिज कर सकेंगे। वे यह आदेश कर सकेंगे कि शिकायतकर्ता दूसरे पक्षकार को उतने व्यय का भुगतान करे, जितना कि लोकपाल समुचित समझे। लोकपाल द्वारा पारित अभिनिर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं होगी और अंतिम तथा पक्षकारों पर बंधनकारी होगा। ऐसे समस्त मामले जिनमें तथ्य अथवा विधि के जटिल प्रश्न तब अन्तर्वलित न हों वे 15 दिन के भीतर निपटाये जायेंगे। अन्य मामले 45 दिन के भीतर निपटाये जायेंगे। यदि लोकपाल के समक्ष किसी कार्यवाही में अवैध परितोषण, रिश्वत या दुर्विनियोग के तथ्य प्रकट हों तो वह लोकपाल के द्वारा विधि के अनुसार आगे की कार्यवाही के लिये राज्य सरकार को निर्दिष्ट की जायेगी।

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