भोपाल, नवंबर 2012/ पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय विभाग मंत्री गोपाल भार्गव ने यहाँ राज्य-स्तरीय सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति की बैठक में कहा कि मध्यप्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में से एक है, जहाँ महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) के अंतर्गत सार्वजनिक उपयोग की स्थाई परिसम्पत्तियों का व्यापकता से निर्माण हुआ है। उन्होंने कहा कि मनरेगा अंतर्गत शिकायत निवारण व्यवस्था को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने और समय पर शिकायतों का निपटारा करने के लिये ‘‘मध्यप्रदेश महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (शिकायत प्रतितोषण) नियम 2012 लागू कर दिया गया है। इस व्यवस्था से शिकायतों का समयावधि में निराकरण हो सकेगा और गड़बड़ियों पर भी अंकुश लगेगा। विभागीय योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अनियमितता तथा लापरवाही के मामले में दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी। जल-ग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम सहित ग्रामीण विकास योजनाओं के अंतर्गत होने वाले आस्था-मूलक कार्यों के बारे में भी गाइड-लाइन तैयार की गई है। श्री भार्गव ने बताया कि प्रदेश में सुदूर अंचलों तक बैंकिंग सुविधाओं के लिये वित्तीय समावेशन का मध्यप्रदेश मॉडल तैयार किया गया है। इससे ग्रामीण अंचलों में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाओं की उपलब्धता के साथ-साथ मनरेगा के मजदूरों को मजदूरी के त्वरित भुगतान में आसानी होगी। इस मॉडल को देश अन्य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा रहा है। श्री भार्गव ने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत गाँव में आवागमन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिये मजरे-टोलों तक पहुँच मार्गों का निर्माण करवाया जायेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री देवसिंह सैयाम भी इस अवसर पर मौजूद थे।
राज्य-स्तरीय सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्री भार्गव ने समिति के सदस्यों द्वारा विभागीय योजनाओं और कार्यक्रमों के बेहतर अमल के लिये दिये गये सुझावों पर चर्चा की। उन्होंने सदस्यों की विभिन्न शिकायतों के संबंध में मैदानी स्तर पर समय-सीमा में जाँच-पड़ताल के बाद दोषी लोगों को दण्डित किये जाने के भी निर्देश दिये। बैठक में अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती अरुणा शर्मा ने मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा आजीविका कार्यक्रमों सहित विभिन्न योजनाओं की उपलब्धियों और प्रगति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब अधिकांश योजनाओं का क्रियान्वयन विभागीय स्तर पर ही किया जा रहा है। श्रीमती शर्मा ने बताया कि सीमावर्ती गाँव को आपस में बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिये संबंधित जिलों की जिला-पंचायतों के माध्यम से समन्वित प्रयास होंगे। इसके लिये जिला पंचायतों और जनपद पंचायतों को उपलब्ध कराई गई राशि का भी उपयोग हो सकेगा। ग्रामीण विकास कार्यों में सांसद निधि की राशि का कन्वर्जेंस भी किया जा सकेगा। हर पंचायत में राजीव गांधी सेवा केन्द्र के निर्माण के लिये 80:20 के अनुपात में सामग्री और श्रम का उपयोग किया जा सकेगा। यह भी निर्देश दिये गये हैं कि मध्यान्ह भोजन योजना के संचालन के लिये स्व-सहायता समूह को दो या तीन स्कूलों से अधिक की जिम्मेदारी नहीं दी जायेगी। योजना के बेहतर अमल के लिये सदस्य जागरूकता के साथ सहयोग दें। श्रीमती शर्मा ने बताया कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में स्व-सहायता समूहों की प्रोड्यूसर कम्पनियों के गठन से सामूहिक-आर्थिक उत्थान में व्यापक सफलता मिली है।
इस अवसर पर बैठक में उपस्थित सदस्य, सांसद डॉ. विजयलक्ष्मी साधो, प्रेमचंद गुड्डू, विधायक कटनी मोती कश्यप, विधायक नीमच खुमान सिंह शिवाजी तथा अशासकीय सदस्य नंदकिशोर पटेल, विमलेन्द्र तिवारी और अजय दुबे ने विभिन्न विभागीय योजनाओं के बेहतर अमल के संबंध में विस्तार से अपने सुझाव दिये। सदस्यों ने विभिन्न शिकायतों और अनियमितताओं के बारे में भी चर्चा की। इस अवसर पर वरिष्ठ विभागीय अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।