होशंगाबाद, जनवरी 2016/ मध्‍यप्रदेश में बच्‍चों में का ठिंगनापन एक बहुत बड़ी समस्‍या है जिस पर तत्‍काल ध्‍यान दिए जाने की जरूरत है। राज्‍य में 42 प्रतिशत बच्‍चे ठिंगनेपन का शिकार हैं और इसका प्रमुख कारण कुपोषण है।

यह जानकारी मध्‍यप्रदेश यूनीसेफ द्वारा होशंगाबाद जिले के तवानगर में आयोजित दो दिवसीय मीडिया कार्यशाला में दी गई । यह कार्यशाला नवजात शिशुओं की स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा पर केंद्रित थी। यूनीसेफ मध्‍यप्रदेश की पोषण विशेषज्ञ दीपिका शर्मा ने बताया कि आमतौर पर कुपोषण को बच्‍चों के दुबलेपन के रूप में ही लिया जाता है लेकिन बच्‍चों का कद न बढ़ना और उनका ठिंगना रह जाना भी कुपोषण का ही दुष्‍परिणाम है। ऐसे बच्‍चे आगे चलकर हीन भावना का शिकार होते हैं और इस तरह से कुपोषणजनित ठिंगनापन प्रदेश की विकास दर को भी प्रभावित कर रहा है।

उन्‍होंने बताया कि मंगलवार को जारी नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार मध्‍यप्रदेश में 42 प्रतिशत बच्‍चे ठिंगनेपन का शिकार हैं। इस सर्वे में एक अच्‍छी बात यह सामने आई है कि राज्‍य में शिशु मृत्‍यु दर प्रति हजार 69 से घटकर 51 रह गई है। यूनीसेफ की स्‍वासथ्‍य विशेषज्ञ डॉ. वंदना भाटिया ने बताया कि मध्‍यप्रदेश में पांच साल से कम आयु के बच्‍चों की मौतों में 52 प्रतिशत हिस्‍सा नवजात मृत्‍यु का है। यदि हमें शिशु मृत्‍यु दर को कम करना है तो नवजात मृत्‍यु दर को कम करना होगा।

यूनीसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि बच्‍चों की सेहत से जुड़े मामलों में जागरूकता सबसे ज्‍यादा जरूरी है। चाहे नवजात बच्‍चों की असमय होने वाली मृत्‍यु हो या शिशु मृत्‍यु दर सभी मामलों में यह देखा गया है कि माता पिता को जानकारी न होने या गलत जानकारी होने के कारण उसका परिणाम शिशु को भुगतना पड़ता है। मीडिया लोगों तक सही और तथ्‍यात्‍मक जानकारी पहुंचाकर इस मामले में बहुत बड़ी और सकारात्‍मक भूमिका अदा कर सकता है। कार्यशला में भोपाल और होशंगाबाद‍ जिले के पत्रकारों ने भाग लिया और शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समाचारों को लेकर अपने सुझाव भी दिए।

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