भोपाल, सितम्बर 2014/ प्रदेश में बेटियों के प्रति समाज का सकारात्मक रूझान बढ़ा है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में एक हजार बालक पर बालिकाओं की जन्म संख्या में वृद्धि की जानकारी मिली है। वर्ष 2010-11 में बालिका लिंगानुपात 911 था जो वर्ष 2012-13 में 916 हो गया है।

यह जानकारी लाड़ली लक्ष्‍मी योजना की समीक्षा बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि बेटी का जन्म परिवार के लिये गर्व और सम्मान का विषय है। लाड़ली लक्ष्मी योजना की यही मंशा है। इसी भाव के साथ योजना का संचालन किया जाय। बैठक में महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह और मुख्य सचिव अंटोनी डिसा भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना सामाजिक बदलाव का माध्यम है। योजना संचालन का स्वरूप ऐसा हो कि उससे लाभान्वित होने के लिये हितग्राही को भाग-दौड़ नहीं करनी पड़े। उसे सरलता और सम्मान के साथ योजना के लाभ प्राप्त हों। बैठक में योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के संबंध में जानकारी दी गई। बताया गया कि योजना में अब राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय बचत-पत्र के स्थान पर प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। लाड़ली को एक लाख की राशि का भुगतान अब 21 वर्ष की आयु में किया जाएगा। भुगतान ई-पेमेंट द्वारा होगा। विभाग द्वारा प्रत्येक लाड़ली लक्ष्मी के स्वास्थ्य, शैक्षणिक गतिविधियों की भी निगरानी की जायेगी। योजना के प्रभावों के संबंध में प्रशासनिक अकादमी के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला है कि 77 प्रतिशत परिवार ने योजना राशि का कन्या शिक्षा अथवा परिवार की बेहतरी के कार्यों में निवेश किया है। प्रदेश के पूर्वी और उत्तरी इलाकों में कन्या विवाह में राशि का उपयोग किया गया है। अध्ययन में बताया गया है कि समाज की सामाजिक सोच में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। अस्सी प्रतिशत से अधिक लोग बेटियों की आवश्यकता और उनके महत्व के प्रति सजग हुए हैं।

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