मध्यप्रदेश ने एक नवम्बर 2012 को अपनी स्थापना के 56 वर्ष पूरे किए हैं। प्रदेश ‘पिछड़े’ और ‘बीमारू’ राज्य की बदनुमा छवि को तोड़ते हुए विकसित राज्य की श्रेणी में शामिल होने के लिए लम्बे डग भर रहा है। औद्योगिक विकास में देश-विदेश के निवेशकों की बढ़ती रुचि, सूचना प्रौद्योगिकी में सर्वाधिक पुरस्कारों का अर्जन, लोक सेवा प्रदाय गारंटी, लाड़ली लक्ष्मी, तीर्थ-दर्शन योजना में दूसरे राज्यों के लिए पथ प्रदर्शन, खेलों में ऊँची छलांग, साँची, खजुराहो, भेड़ाघाट, पचमढ़ी, तीर्थ-पर्यटन स्थलों के प्रति पर्यटकों का बढ़ता रुझान, गेहूँ उपार्जन, दलहन-तिलहन में बुलंदी पर पहुँचता राज्य, इस तरह बहुत कुछ बदला है इन गुजरे 56 सालों में। गाँवों में विकास की नई बयार बही है। मुख्य सड़कों से जुड़कर विकास की मुख्य धारा से जुड़े हैं। पंच-परमेश्वर योजना में 1900 करोड़ रुपये का प्रावधान कर गाँवों को विकास कार्यों के लिए 5 से 15 लाख रुपये तक उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। इसका भी दूसरे राज्य अनुसरण कर रहे हैं। बिजली में भी फीडर विभक्तिकरण के माध्यम से प्रदेश 2013 में आत्म-निर्भरता के मुकाम की ओर बढ़ा जा रहा है।

मध्यप्रदेश की तस्वीर और तकदीर ही नहीं बदली, पिछले 56 वर्ष में लोगों को प्रशासकीय सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए प्रशासकीय ढाँचे में भी खासी तब्दीली आई है। एक नवम्बर, 1956 को मध्यप्रदेश राज्य का गठन पूर्व मध्यप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश, भोपाल और राजस्थान के सिरोंज क्षेत्र को मिलाकर हुआ। गठन के पहले इन इकाइयों में भूमि तथा भूमि विवादों से संबंधित विभिन्न प्रकार के कानून और अधिनियम लागू थे, जिनका लोप किया जाकर 2 अक्टूबर 1959 से मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 लागू की गयी।

वर्ष 1956 में प्रदेश में 7 संभाग, 43 जिला, 190 तहसील, 108 विकासखण्ड, 202 नगर और 70 हजार 38 ग्राम थे। छत्तीसगढ़ भी मध्यप्रदेश का ही भाग होने की वजह से भौगोलिक क्षेत्रफल था 4,43,446 वर्ग किलोमीटर था। इस तरह मध्यप्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य था। जनसंख्या थी 2 करोड़ 60 लाख 71 हजार 654। इस जनसंख्या में से मात्र 31 लाख 41 हजार 164 नगरीय लोग शामिल थे। अनुसूचित-जाति की जनसंख्या 34 लाख 09 हजार 761 और अनुसूचित-जनजाति की जनसंख्या 38 लाख 65 हजार 254 थी। जनसंख्या का घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 66 था तो प्रति हजार पुरुषों पर स्त्री संख्या 937 थी। शुद्ध बोया गया क्षेत्र था 155.20 लाख हेक्टेयर, कुल बोया गया क्षेत्र 176.33 लाख हेक्टेयर और खाद्यान्न उत्पादन था 65.76 लाख टन। सिंचाई का कुल सिंचित क्षेत्र था 8.39 लाख हेक्टेयर, विद्युत उत्पादन 81 मेगावॉट, उपभोक्ता संख्या 51 हजार 306 थी। विद्युतीकृत ग्राम 142, मध्यम एवं बड़े उद्योग 54 तो छोटे उद्योगों की संख्या 1737 थी। रोजगार उपलब्धता 15 हजार 500 व्यक्ति थी। शिक्षा के क्षेत्र में 22 हजार 762 प्राथमिक विद्यालय, 1,604 माध्यमिक और 414 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय थे। साक्षरता का प्रतिशत 9.9 था।

एक नवम्बर, 2000 को मध्यप्रदेश के 16 जिलों रायपुर, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगाँव, कवर्धा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, अंबिकापुर और तीन राजस्व संभाग रायपुर, बिलासपुर और बस्तर को शामिल कर नया प्रदेश अस्तित्व में आया छत्तीसगढ़। मध्यप्रदेश का 1 लाख 35 हजार 133 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और 26.63 प्रतिशत जनसंख्या छत्तीसगढ़ में समाहित हो गए। भौगोलिक परिदृश्य बदलने के साथ ही बहुत कुछ बदल गया। अपना ही कुछ हिस्सा पड़ोसी राज्य में तब्दील हो गया।

वर्तमान मध्यप्रदेश

वर्तमान मध्यप्रदेश जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल 308 हजार वर्ग किलोमीटर है, में 10 राजस्व संभाग और 50 जिले और 352 तहसीलें हैं। इनमें से वर्ष 2008 में दो नए राजस्व संभाग शहडोल और नर्मदापुरम्, दो नए जिले- अलीराजपुर और सिंगरोली का गठन हुआ है। मई, 2008 के बाद प्रदेश में 80 नई तहसील का सृजन हुआ है।

मध्यप्रदेश राज्य के लिए 1956 में राजस्व मण्डल की स्थापना की गई। इसकी मुख्य पीठ ग्वालियर हुई। राजस्व मण्डल द्वारा मुख्य पीठ के अतिरिक्त भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रीवा, जबलपुर एवं सागर में संभागीय मुख्यालयों पर सर्किट कोर्ट लगाकर संबंधित क्षेत्रों के प्रकरणों का निराकरण किया जाता है। राजस्व प्रशासन के सुचारु संचालन के लिए फरवरी, 2011 में प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय की भी स्थापना की गई है। सूखा, बाढ़, ओला, आग, भूकंप और अब पाला जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावितों को राहत पहुँचाने के लिए वर्ष 1980 से राहत आयुक्त कार्यालय भी संचालित हैं। नियमित भू-प्रबंधन, भू-अभिलेख, कृषि सांख्यिकी तथा भू-सुधार कार्यों के लिए आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त कार्यालय हैं। प्रदेश के समस्त 55 हजार 393 ग्राम के 1 करोड़ 23 लाख भूमि-स्वामियों के 3 करोड़ 77 लाख खसरा नम्बरों का इलेक्ट्रानिक डाटाबेस तैयार किया जा चुका है। इस डाटा बेस में सर्वे नम्बर, क्षेत्रफल, भूमि-स्वामी का नाम, स्वामित्व का प्रकार, पूर्ण पता, जाति, मिट्टी का प्रकार, भू-राजस्व, सिंचाई साधन, फसल का नाम इत्यादि जानकारी सम्मिलित है।

मध्यप्रदेश में आज 394 नगर, 56 हजार 365 गाँव, 55 हजार 404 राजस्व ग्राम और 961 वन ग्राम हैं। साथ ही 200 राजस्व अनुभाग, 313 विकासखण्ड, 23 हजार 012 ग्राम पंचायत, 313 जनपद पंचायत और 50 जिला पंचायत हैं। प्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ 25 लाख के पार पहुँच चुकी है। प्रत्येक 1000 पुरुष पर स्त्री संख्या 930 है।

प्रदेश में पिछले दशक में जनसंख्या दर में चार प्रतिशत की कमी आई है। वृद्धि दर पर न केवल अंकुश लगा है बल्कि यह 24.3 प्रतिशत से घटकर 2011 में 20.3 प्रतिशत रह गया है। ग्रामीण जनसंख्या 5 करोड़ 25 लाख 37 हजार 899, शहरी जनसंख्या 2 करोड़ 59 हजार 666 है। लोकसभा सीट 29, राज्यसभा सीट 11 और विधानसभा की सीट 230 हैं। कुल बोया गया क्षेत्रफल 21 हजार 514 हजार हेक्टेयर और कुल सिंचित क्षेत्रफल 7,162 हेक्टेयर है। खाद्यान्न उत्पादन करीब 165 लाख मीट्रिक टन है। विद्युत की अधिष्ठापित क्षमता 3725.00 मेगावॉट और उपभोक्ता संख्या 9075 हजार है। करीब 36 हजार गाँव विद्युतीकृत हो चुके हैं।

जनगणना-2011 के अनुसार 43 हजार 827 हजार साक्षर हैं। साक्षरता का प्रतिशत 70.6 है, जिसमें पुरुष साक्षरता 80.5 प्रतिशत और स्त्री साक्षरता 60 प्रतिशत है। प्राथमिक विद्यालय 83 हजार 412, माध्यमिक विद्यालय 28 हजार 479, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 12 हजार 121 और 400 से अधिक महाविद्यालय तथा 300 के करीब तकनीकी शिक्षण संस्थाएँ हैं।

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