भोपाल, सितम्बर 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में बताया कि मध्यप्रदेश में अब तक हुए 2 लाख करोड़ के निवेश के करारनामों में से एक लाख 15 हजार करोड़ के करारनामे धरातल पर आ गये हैं। राज्य सरकार बड़े उद्योगों के साथ-साथ लघु और कुटीर उद्योगों का जाल बिछाने तथा प्रदेश में युवा उद्यमियों को तैयार करने पर भी विशेष जोर दे रही है। अगले 5 साल में प्रदेश में 5 लाख युवा उद्यमी तैयार किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि निवेशकों की सुविधा के लिये प्रदेश में वास्तविक रूप से सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है।

श्री चौहान नई दिल्ली में मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा प्रदेश के संबंध में पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्‍होंने बताया कि जहाँ देश की दूसरी जगहों पर बिजली का संकट गहराया हुआ है, वहीं मध्यप्रदेश में 14 हजार मेगावाट बिजली उपलब्ध है। प्रदेश अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ दिल्ली, बिहार और उत्तरप्रदेश को भी बिजली दे रहा है। वर्ष 2017 तक प्रदेश में बिजली की उपलब्धता बढ़कर 18 हजार मेगावाट हो जायेगी। उन्होंने कहा कि ताप विद्युत ही नहीं मध्यप्रदेश वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर भी ध्यान दे रहा है। आने वाले समय में प्रदेश नवकरणीय ऊर्जा का हब बन जायेगा। इस वर्ष प्रदेश में 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा मिलेगी। राज्य सरकार ने भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नीतियाँ बनाई हैं।

मध्यप्रदेश में दस साल पहले सिर्फ साढ़े 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी। आज साढ़े 27 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है। प्रदेश में नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना पूरी हो गई है। आगे चलकर नर्मदा-कालीसिंध और गंभीर नदियों को भी जोड़ा जायेगा। केन-बेतवा परियोजना प्रस्तावित है।

अनाज उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है। खेती की जमीन कम होने के बाद भी पिछले साल प्रदेश ने 20 प्रतिशत और उसके पिछले साल 19 प्रतिशत कृषि विकास दर प्राप्त की। इस वर्ष 24.99 प्रतिशत कृषि विकास दर प्राप्त की गई है। खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिये ठोस कदम उठाये गये हैं। अन्य उपायों के साथ-साथ किसानों को ब्याज मुक्त कृषि ऋण और बोनस जैसी सुविधाएँ दी गई हैं।

प्रदेश में 2 लाख करोड़ के निवेश करारनामों में से एक लाख 15 हजार करोड़ का निवेश किया जा चुका है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत है। यहाँ बड़े उद्योगों के साथ-साथ लघु एवं कुटीर उद्योगों का जाल बिछाया जा रहा है। युवा उद्यमी तैयार करने के लिये मध्यप्रदेश युवा उद्यमी योजना लागू की गई है। इसमें 10 लाख से 1 करोड़ तक के ऋण की गारंटी राज्य सरकार देती है। उद्यमियों को 5 साल तक 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ-साथ तकनीक ज्ञान और उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने में मदद दी जाती है। पाँच साल में 5 लाख उद्यमी तैयार करने का लक्ष्य है। पिछले साल 44 हजार युवाओं को उद्यमिता के लिये सहायता दी गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश निवेश के लिये आदर्श स्थान है, यहाँ उद्योगों के लिये 20 हजार हेक्टेयर जमीन का लेंड बेंक बनाया गया है। प्रदेश में क्षेत्र, धर्म, जाति आदि किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। जो मध्यप्रदेश आता है वह वहीं का हो जाता है। प्रदेश में औद्योगिक शांति के साथ-साथ कुशल जन शक्ति भी उपलब्ध है। प्रदेश में नई आईटीआई खोली गई हैं और पुरानी आईटीआई में उद्योगों की वर्तमान जरूरतों के साथ पाठ्यक्रम बदले गये हैं।

प्रदेश में कानून-व्यवस्था बहुत अच्छी है। अब चम्बल में कोई सूचीबद्ध डकैत गिरोह नहीं है। निवेशक अब चम्बल क्षेत्र का भी रूख कर रहे हैं। प्रदेश की उद्योग नीति निवेशक हितैषी है और अलग-अलग सेक्टरों के लिये अलग-अलग नीतियाँ हैं। ट्राइफेक को वास्तविक रूप से सिंगल विंडो बनाया गया है, जहाँ सभी संबंधित विभाग के अधिकारी बैठेंगे। वह स्वयं सीईओ की तैयार काम करते हैं और हर सोमवार को निवेशकों से मिलते हैं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में दूसरे देश पार्टनर बन रहे हैं।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में फोकस वाले सेक्टरों के विषय में मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य प्र-संस्करण पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है। इससे कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन होगा और रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी, टेक्सटाइल, पॉवर प्लांट, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, दवा निर्माण, शिक्षण संस्थानों आदि पर भी फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर की अगली डेस्टिनेशन अब मध्यप्रदेश है।

मुख्यमंत्री ने सुशासन की चर्चा करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में कटिबद्ध प्रयास किये जा रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश में लागू की गई ई-टेण्डरिंग, ई-मेजरमेंट, ई-पेमेंट, लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम, भ्रष्टाचार से सम्पत्ति को राजसात कर उसके जनहित में उपयोग आदि जैसे कानून की विस्तार से चर्चा की।

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