भोपाल, सितम्बर 2014/ मध्यप्रदेश में न केवल शिक्षा के स्तर पर बल्कि सुशासन और पंचायत स्तर के निर्माण कार्यों के प्राक्कलन बनाने तक में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने का काम हो रहा है। राज्य सरकार ने देश का पहला हिन्दी विश्वविद्यालय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से स्थापित किया है। साथ ही हिन्दी की बोलियों के संरक्षण और उनके विकास की केन्द्रीकृत कोशिशें भी संस्कृति विभाग के माध्यम से की जा रही हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने में तो मध्यप्रदेश, देश में लगभग अग्रणी ही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के सार्थक प्रयासों के साथ ही हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म करने के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था।

प्रदेश में स्थापित हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रति विद्यार्थियों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। यह इस बात से सिद्ध होता है कि पिछले शैक्षिणिक सत्र में विश्वविद्यालय में 358 विद्यार्थी ने प्रवेश लिया था। इस शैक्षणिक वर्ष के लिये 4002 विद्यार्थी ने नामांकन करवाया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री हेल्प-लाइन 181 के लिये पूरा सॉफ्टवेयर हिन्दी में तैयार किया गया है। प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये कम्प्यूटर से किये जाने वाले शासन के सभी कार्यों में यूनीकोड को अनिवार्य कर दिया गया है। इससे हिन्दी भाषियों को कम्प्यूटर दक्ष बनाने में अच्छी सफलता मिली है। मध्यप्रदेश में अब पंचायत-स्तर के निर्माण कार्यों के लिये प्राक्कलन हिन्दी में बनाये जायेंगे। उच्च न्यायालय से निर्णयों का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध करवाने का भी अनुरोध किया गया है।

हिन्दी विश्वविद्यालय

मध्यप्रदेश का अटल बिहारी हिन्दी विश्वविद्यालय डॉक्टरी और इंजीनियरिंग के साथ ही साइंस की विभिन्न विधाओं, वाणिज्य और प्रबंधन के शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था हिन्दी भाषा में करने की ओर अग्रसर है। इन विषयों को हिन्दी माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिये देश में प्रदेश का यह पहला प्रयास है।

विश्वविद्यालय के पहले सत्र 2012-13 में 60 और दूसरे सत्र 2013-14 में 394 विद्यार्थी ने प्रवेश लिया। सत्र 2014-15 में नियमित पाठ्यक्रम के लिये 265 और एम.फिल-पीएच.डी के लिये 4002 विद्यार्थी ने पंजीयन करवाया है। प्रवेश के लिये विश्वविद्यालय में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रक्रिया प्रचलित है।

विश्वविद्यालय में ज्ञान-विज्ञान की विभिन्न विधाओं में पी-एच.डी. तथा एम. फिल के साथ ही स्नातकोत्तर, स्नातक, प्रतिष्ठा, पत्रोपाधि, प्रमाण-पत्र और प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किये गये हैं। इन उपाधियों और पाठ्यक्रमों के मूल्यांकन के लिये नवीनतम मूल्यांकन प्रणालियों का उपयोग किया गया है। विश्वविद्यालय में 18 संकाय खोले गये हैं और 200 से अधिक पाठ्यक्रम बना लिये गये हैं। विश्वविद्यालय हिन्दी दिवस पर रविवार 14 सितम्बर को संस्कृति विभाग के सहयोग से हिन्दी पर्व का आयोजन भी कर रहा है।

हिन्दी – कुछ तथ्य

भारत ही नहीं विश्व के 22 देश के लगभग एक अरब लोग हिन्दी का प्रयोग करते हैं। संसार के लगभग 150 विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है। फिजी तथा मारिशस में हिन्दी को द्वितीय राजभाषा का स्थान प्राप्त है। वर्धा (महाराष्ट्र) में भारत सरकार द्वारा महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय तथा मारिशस में विश्व हिन्दी केन्द्र की स्थापना की गई है। देश के 71 प्रतिशत वाशिन्दें हिन्दी समझ सकते हैं। कम्प्यूटर के लिये सबसे आसान लिपि हिन्दी भाषा की देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। कम्प्यूटर इंटरनेट में उपयोग के लिये हिन्दी के मात्र 1000 चिन्ह की आवश्यकता है। इसकी तुलना में चीनी भाषा में एक लाख चिन्ह की आवश्यकता पड़ती है। अब यह भी प्रमाणित है कि हिन्दी शब्दावली की दृष्टि से विश्व की समृद्धतम भाषा ही नहीं सर्वाधिक वैज्ञानिक, सक्षम और सुविधाजनक भाषा भी है।

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