भोपाल, जुलाई 2014/ मध्यप्रदेश में नाबार्ड द्वारा विकसित मॉडल डेयरी फार्मिंग प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाएगा। इसका क्रियान्वयन चयनित क्लस्टरों में संबंधित दुग्ध संघ करेंगे। मध्यप्रदेश संस्थागत वित्त संचालनालय द्वारा इस प्रोजेक्ट के संबंध में बुलाई गयी विभिन्न हितधारकों की बैठकों में प्रोजेक्ट पर चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया। इस कार्य में बैंक, अन्य वित्तीय संस्थाएँ तथा बीमा कम्पनियाँ सहयोग करेंगी।

प्रोजेक्ट में दुग्ध संघ, डेयरी सहकारी समितियों के गठन के लिए, अपने-अपने कार्यक्षेत्र में मिल्क रूट चिन्हित करेंगे। ये संघ हितग्राही दुग्ध उत्पादकों को डेयरी सहकारी समितियों का सदस्य बनाएँगे। दुग्ध संघ इन सदस्यों को दुधारू पशु प्राप्त करने, दुग्ध संग्रहण, आपूर्ति, शीत संयंत्रों तक दुग्ध परिवहन तथा दूध और दुग्ध उत्पादों के विपणन में मदद करेंगे। वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि डेयरी सहकारी समिति के सचिव से क्रय किये गये दूध का पैसा सदस्यों के खतों में समय पर जमा हो। सदस्यों द्वारा इस कार्य में लिये जाने वाले बैंक ऋण की अदायगी संघ द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।

पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक और उप संचालक दुधारू पशुओं को पशु चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध करवाने में मदद करेंगे। बैंकों द्वारा पशुओं का बीमा करवाने में भी मदद की जाएगी। पशुपालन विभाग मृत पशुओं की बीमा राशि का भुगतान जल्दी से जल्दी करवाने का प्रयास करेगा।

बीमा कम्पनी दुग्ध उत्पादकों द्वारा खरीदे गये दुधारू पशुओं का सीधे तौर पर अथवा बैंकों के माध्यम से बीमा करेगी। कम्पनी सभी दावों का दस्तावेज प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर निराकरण करेगी।

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