मध्यप्रदेश की स्थापना के 56 वर्ष बीत गए। इन वर्षों में सबसे अनूठा, अद्भुत व अनुकरणीय प्रयोग, या कहें पहल जो इस प्रदेश में हुआ, लोक सेवा गारंटी कानून का लागू होना। प्रजातंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। इसलिए मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने तंत्र को जन के प्रति और अधिक जवाबदेह और जनोन्मुखी बनाने के लिए लोक सेवा गारंटी अधिनियम में कई बड़े प्रावधान समाहित किये। जनहित में किये जाने वाले कार्यों को न केवल व्यापक सराहना मिलती है बल्कि उसका अनुसरण भी किया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने शासन काल में सुशासन की दिशा मे बेहतरीन प्रयोग किए, जिन्हें खासी कामयाबी मिली है। उनकी सबसे बड़ी चिन्ता यह रही की आम आदमी की शिकायतें जल्द से जल्द और असरदार तरीके से दूर हों और शासकीय सेवाएँ लोगों को समय पर मिलें।

दुनिया में कदाचित लोक सेवा गारंटी अधिनियम अपनी तरह का यह पहला कानून है जिसमें तयशुदा समय-सीमा में सेवा नहीं देने वाले शासकीय सेवक को जुर्माना भरना पड़ता है। ढाई सौ रुपये रोज से शुरू होकर जुर्माने की रकम पाँच हजार तक हो सकती है। जुर्माने की रकम संबंधित आवेदक को हर्जाने के रूप में दी जाती है। लोक सेवा प्रदाय व्यवस्था को लोकोन्मुखी, पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम की शुरूआत 2010 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म-दिवस 25 सितम्बर से हुई। इस क्रांतिकारी विधान को वर्ष 2012 का यू.एन.पब्लिक सर्विस अवार्ड मिल चुका है। अधिनियम को देश के 14 राज्यों में अपनाया गया है। वर्तमान में अधिनियम में 16 विभाग की 52 लोक सेवा को शामिल किया गया है। आम जनता को समय-सीमा में लोक सेवाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किए गए मध्य प्रदेश लोक सेवा के प्रदान की गारंटी अधिनियम को दो वर्ष हो गये हैं। इस कानून की वजह से आमजन का हौसला बढ़ा है, अपना काम करवाने के लिए अधिकारियों के समक्ष गिड़गिड़ाने और याचना-भाव की मानसिकता अब अधिकार और ताकत में बदल गई है।

तयशुदा समय-सीमा में सेवा नहीं देने वाले शासकीय सेवक को जुर्माना भरना पड़ता है। प्रदेश में लोक सेवा गारंटी अधिनियम में अब तक 137 अधिकारियों/कर्मचारियों को लगभग 2 लाख 52 हजार 420 रुपये का जुर्माना भरना पड़ा। इसमें से एक लाख 86 हजार से अधिक की राशि आवेदकों को क्षतिपूर्ति के रूप में दी जा चुकी है।

लोक सेवा केन्द्र-कैस काम करते हैं

नागरिकों को मध्यप्रदेश लोक सेवा के प्रदान की गारंटी अधिनियम 2010 में अधिसूचित सेवाओं के आवेदन संबंधित पदाभिहित अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत करने के साथ ही निजी भागीदारी के माध्यम से एक वैकल्पिक व्यवस्था देने के लिए प्रदेश में 336 लोक सेवा केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। पहले चरण में 95 लोक सेवा केन्द्र ने विधिवत कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। शेष दिसम्बर माह तक स्थापित हो जायेगें। ये केन्द्र विकास खण्ड मुख्यालय और नगरीय क्षेत्रों में खोले गए हैं। इन केन्द्रों पर ऑनलाइन आवेदन लिए जाकर उसी समय आवेदक को पावती दी जाती है। आवेदक को आवेदन पत्र जमा करते समय किसी प्रपत्र में आवेदन नहीं लाना होगा, केवल जरूरी दस्तावेज देने होंगें। लोक सेवा केन्द्र संचालक आवेदक से आवश्यक दस्तावेजों सहित विस्तृत विवरण प्राप्त कर उसका आवेदन आनलाइन दर्ज करेगा। केन्द्र में वांछित दस्तावेजों की स्व-प्रमाणित प्रति प्राप्त कर मूल दस्तावेजों को स्केन कर उन्हें आवेदन के साथ अपलोड किया जाएगा। आवेदक से निर्धारित शुल्क भी लिया जाएगा। आवेदक द्वारा आवेदन की प्रति माँंगे जाने पर 5 रुपये में उपलब्ध करवायी जाएगी। यदि आवेदक अपूर्ण आवेदन दाखिल करता है तो उसे आनलाइन प्राप्त कर 30 दिन के अंदर आवेदन पूरा करने के लिए कहा जाता है। इस अवधि में आवेदन पूर्ण नहीं करने पर वह निरस्त माना जायेगा। पूर्ण आवेदन निर्धारित अवधि में पदाभिहित अधिकारी को भेजे जाएँगे। पदाभिहित अधिकारी द्वारा समय पर सेवा उपलब्ध नहीं करवाने या इंकार करने के मामले में केन्द्र संचालक द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी के ध्यान में लाया जायेगा। प्रथम अपील का समय पर निराकरण नहीं होने पर द्वितीय अपीलीय अधिकारी के ध्यान में लाने और पारित आदेश की एक प्रति आवेदक को निःशुल्क उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी केन्द्र संचालक की रहेगी। प्रति माह लोक सेवा केन्द्र संचालक द्वारा प्राप्त आवेदक शुल्क में से प्रक्रिया शुल्क की राशि के अलावा शेष राशि जिला ई-गवर्नेंस समिति के खाते में जमा करवाई जाएगी।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने लोक सेवा प्रबंधन विभाग की वेबसाईट  www.mpedistrict.gov.in  का शुभारंभ किया। उन्होंने वीडियो कांन्फ्रेंस कर कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे लोक सेवा केन्द्रों के संचालन एवं प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें ताकि लोगों को समय पर बिना किसी परेशानी के सेवाएँ मिल सकें।

लोक सवा गारंटी अधिनियम के तहत सितम्बर माह में विभिन्न विभागों में कुल एक लाख 24 हजार 390 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें 75 हजार 450 आवेदनों पर निर्धारित समय-सीमा में सेवाएँ उपलब्ध करवाई गईं तथा 2617 आवेदन को अपूर्ण, अपात्र या गलत जानकारी के चलते अमान्य कर दिया गया। कानून लागू होने से सरकारी दफ्तरों में आम लोगों को सेवाएँ उपलब्ध करवाने वाले अमले में ज्यादा चुस्ती और सजगता आने के साथ-साथ जुर्माने का डर भी है। साथ ही आम लोगों में यह जागरूकता आयी है कि सरकारी दफ्तर में जाकर काम करवाना उसका हक है। उसे यह हक न देने वाले को सजा मिलेगी।

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