भोपाल, दिसम्बर 2015/ उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने निवेशकों से मध्यप्रदेश में फूड-इंडस्ट्री लगाने में रुचि लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खाद्यान्न, उद्यानिकी फसलें और दुग्ध के अधिक मात्रा में हो रहे उत्पादन को देखते हुए यहाँ फूड-इडंस्ट्री की बेहतर संभावनाएँ हैं। सुश्री महदेले आज भारत सरकार के खाद्य प्र-संस्करण मंत्रालय और इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स के ‘म.प्र. फूड-टेक 2015’ को संबोधित कर रही थी।

सुश्री कुसुम महदेले ने इस बात को स्वीकार किया कि पिछले दस साल में मध्यप्रदेश में जिस तेजी से विकास और अधिक उत्पादन हुआ, उसकी तुलना में फूड-प्रोसेसिंग यूनिट कम है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि यदि वे मध्यप्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करते हैं तो राज्य सरकार उन्हें वह सब सुविधाएँ मुहैया करवायेगी जो अन्य राज्य में मिलती है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की भी मंशा है कि निवेशकों को सारी सुविधाएँ मिले। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की जलवायु ऐसी है कि यहाँ सब प्रकार की फसलें होती हैं। दूध और अनाज के उत्पादन के मामले में तो मध्यप्रदेश ने दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। इस साल संतरे की पैदावार इतनी अधिक हुई कि वह नागपुरी संतरे के नाम से बेचा जा रहा है। संतरा, अमरूद, बेर आदि जो फल ज्यादा उत्पादित हो रहे हैं, उनके लिए फूड-प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित होना चाहिए। अधिक यूनिट लगने से सबसे ज्यादा फायदा किसानों को मिलेगा। सुश्री महदेले ने बताया कि दुग्ध उत्पादन के मामले में अब मध्यप्रदेश देश में सातवें से चौथे स्थान पर आ गया है। दुग्ध-उत्पादों के निर्माण में यदि निवेशक रुचि ले तो मध्यप्रदेश अमूल को पीछे छोड़ सकता है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश को फूड-प्रोसेसिंग की गतिविधियों से जोड़ना चाहिए।

एग्रो के प्रबंध संचालक श्री एस.के. मिश्रा ने कहा कि फूड पार्क में उद्योग लगाने वालों को मध्यप्रदेश निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान लगातार निवेशकों के सम्पर्क में है। इज ऑफ डूइंग में मध्यप्रदेश की रेकिंग अच्छी है। श्री मिश्रा ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ-साथ लोगों की जीवन शैली भी बदली है। अब लोग फूड की क्वालिटी के प्रति सचेत हो गये है। उन्होंने बताया कि पिछले दस साल में मध्यप्रदेश की विकास दर दोहरे अंक में रही है। कृषि विकास दर भी विश्व में सबसे ज्यादा है। गेहूँ उत्पादन में मध्यप्रदेश हरियाणा को पीछे छोड़ चुका है। दालों का भी अधिक उत्पादन हो रहा है।

नाबार्ड भोपाल के मुख्य महाप्रबंधक श्री आर.एन. कुलकर्णी ने बताया कि भारत सरकार खाद्य उद्योग को बढ़ावा देने और उसे अच्छी स्थिति में लाने का निरंतर प्रयास कर रही है। भारत सरकार द्वारा खाद्य व्यवसाय के लिए 5225 करोड़ की लागत प्रस्तावित की गई है। उन्होंने बताया कि लोगों में खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता को लेकर सोच बदली है। पूरा मार्केट फूड इडंस्ट्री के साथ जुड़ा हुआ है। नाबार्ड को मेगा फूड पार्क निर्माण के लिए भारत सरकार ने 2000 करोड़ दिये हैं। मध्यप्रदेश सरकार के विजन के अनुकूल यहाँ फूड इंडस्ट्री की बेहतर संभावनाएँ हैं। उन्होंने प्रदेश की रोड क्नेक्टिविटी की तारीफ कर किसानों को फूड इडंस्ट्री से जोड़ने की बात कही।

केन्द्रीय खाद्य प्र-संस्करण मंत्रालय के उप सचिव श्री एस.के. वर्मा ने कहा कि खाद्य प्र-संस्करण उद्योग को मेक इन इंडिया नीति को मजबूती देने की पहल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में चार में से दो मेगा फूड पार्क शुरू हुए हैं, शेष पर कार्य हो रहा है।

सुश्री महदेले ने ‘भारत में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री’ पुस्तक का विमोचन किया। अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेट किये गये।

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